रिक्तियां न भरने पर रिम्स निदेशक के खिलाफ अवमानना का चलेगा मुकदमा: हाईकोर्ट

Edited By Diksha kanojia, Updated: 19 Feb, 2022 01:52 PM

contempt case will be filed against rims director for not filling vacancies

मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर रिम्स में रिक्त पदों पर पिछले कई वर्षों से भर्ती न किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान के आधार पर सुनवाई की और सख्त लहजे में रिम्स...

रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए दो टूक चेतावनी दी कि अदालत के आदेश के बावजूद संस्थान में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तुरंत नहीं पूरी की गई तो इसके निदेशक के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर रिम्स में रिक्त पदों पर पिछले कई वर्षों से भर्ती न किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान के आधार पर सुनवाई की और सख्त लहजे में रिम्स प्रशासन को यह चेतावनी दी। खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि दो वर्ष से अदालत रिक्त पदों पर नियुक्ति करने का आदेश दे रही है, लेकिन अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। खंडपीठ ने कहा कि ऐसे में अब समय आ गया है, जब रिम्स निदेशक के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाएगा। अदालत ने कहा कि रिम्स में तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कई पद रिक्त हैं, जिन्हें भरने का निर्देश दिया जा रहा है, लेकिन रिम्स हर बार अपना रुख बदल रहा है।

उच्च न्यायालय ने रिम्स निदेशक को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर दिया। मामले में आगे की सुनवाई अगले सप्ताह होगी। सुनवाई के दौरान रिम्स की ओर से अदालत से अनुरोध किया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए उसे समय दिया जाए और जल्द ही विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा। रिम्स प्रबंधन ने यह भी कहा कि कुछ पदों पर रोस्टर क्लीयरेंस का मामला सरकार के पास लंबित है। इस पर अदालत ने कहा कि पिछले दो वर्ष से रिम्स में खाली पदों को भरने का आदेश दिया जा रहा है, बावजूद इसके रिम्स प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अदालत ने कहा कि जब सरकार ने वर्ष 2015 में ही एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि रिम्स में नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लीयरेंस की अनुमति की जरूरत नहीं है तो फिर रिम्स की ओर से इसकी फाइल सरकार को क्यों भेजी जा रही है।

उच्च न्यायालय ने रिम्स से तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के खाली पदों की स्थिति की जानकारी मांगी। रिम्स की ओर से कहा गया कि फिलहाल इन पदों पर दैनिक अथवा आउटसोर्स के माध्यम से काम लिया जा रहा है। हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि वह इस मामले को स्वयं देखेंगे, लेकिन अदालत ने कहा कि रिम्स में नियुक्ति सरकार के वर्ष 2015 के आदेश के तहत ही होगी और इसमें बदलाव अदालत बर्दाश्त नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि रोस्टर को लेकर सरकार अब अपनी नीति नहीं बदल सकती है और रिम्स को पहले की नीति के तहत विज्ञापन जारी करना होगा।

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