"आने वाले समय में हम लोग BJP को मुंह तोड़ जवाब देंगे": मंत्री हाफीजुल हसन

Edited By Khushi, Updated: 19 Feb, 2024 11:19 AM

minister hafizul hasan reached madhupur after taking oath

मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह झारखंड प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण सह पर्यटन मंत्री हाफिजुल हसन पुनः शपथ ग्रहण लेने के बाद रांची से सड़क मार्ग होते हुए मधुपुर गांधी चौक पहुंचे

Deoghar (विजय सिन्हा): मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह झारखंड प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण सह पर्यटन मंत्री हाफिजुल हसन पुनः शपथ ग्रहण लेने के बाद रांची से सड़क मार्ग होते हुए मधुपुर गांधी चौक पहुंचे जहां दर्जनों कार्यकर्ताओं ने मंत्री हाफिजुल हसन को गर्मजोशी से फूल माला पहनाकर स्वागत किया।

"BJP के हिटलरशाही के कारण हेमंत सोरेन को जाना पड़ा जेल"
इस अवसर पर मंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। मौके पर मंत्री हाफिजुल हसन ने कहा कि यह शपथ ग्रहण नहीं होना चाहिए था, लेकिन बीजेपी के हिटलरशाही के कारण पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा। इसके कारण हमें दोबारा शपथ ग्रहण लेना पड़ा। उन्होंने कहा हम लोगों का संघर्ष जारी रहेगा, जब तक हेमंत सोरेन जेल से नहीं छूटेंगे और आने वाले समय में हम लोग बीजेपी को मुंह तोड़ जवाब देंगे।

बता दें कि झारखंड में चंपई सोरेन सरकार के कैबिनेट विस्तार होते ही कांग्रेस में कलह छिड़ गया है। कांग्रेस में मंत्री पद को लेकर फूट पड़ती दिख रही है। कांग्रेस की तरफ से सभी पुराने चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया, जिससे कई कांग्रेसी विधायक नाराज हो गए। नाराज कांग्रेस विधायकों का कहना है कि कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से जिन 4 लोगों को जगह मिली है, वे पूर्व की हेमंत सोरेन सरकार में भी मंत्री थे। इससे कांग्रेस के 12 विधायक नाराज हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व को दो-टूक कह दिया है कि कैबिनेट से इन चारों को हटाकर नए चेहरों को मंत्री नहीं बनाया गया तो वे विधानसभा के बजट सत्र का बहिष्कार करेंगे। नाराज विधायकों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को एक पत्र भी सौंपा है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस के नाराज विधायक एक साथ राज्य से बाहर भी जा सकते हैं।

इन विधायकों का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार में शामिल इन चारों मंत्रियों की परफॉर्मेंस बेहद खराब रही है। उन्होंने 4 साल में कभी पार्टी के दूसरे विधायकों की नहीं सुनी। कार्यकर्ताओं से दूरी बनाए रखी। इन्हें हटाने की मांग हेमंत सरकार के ही कार्यकाल से होती रही है, लेकिन अब फिर से बनी कैबिनेट में उन्हें जगह दी गई है, अगर बदलाव नहीं हुआ तो आगामी चुनावों में पार्टी को काफी नुकसान होगा।

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