Edited By Diksha kanojia, Updated: 02 Oct, 2021 12:28 PM
‘पलामू बाघ आरक्ष'' के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि कोविड-19 की पहली विश्व व्यापी लहर को देखते हुए मार्च-2020 से ही बंद पीटीआर को पर्यटकों के लिए आज खोल दिया गया और जंगल सफारी में दो सफारी से पर्यटकों को भ्रमण के लिए रवाना किया गया लेकिन...
मेदिनीनगरः झारखंड का एकमात्र ‘पलामू बाघ आरक्ष' (पीटीआर) लगभग डेढ़ वर्षों बाद शुक्रवार को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया और साथ ही वन्य जीवन प्रेमी पर्यटकों की बड़ी संख्या को देखते हुए पीटीआर ने बाघ फाउंडेशन से 12 सफारी (पर्यटकों द्वारा भ्रमण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ी) देने की मांग की है जिससे पर्यटकों को जंगल सफारी का आनंद प्रदान किया जा सके।
‘पलामू बाघ आरक्ष' के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि कोविड-19 की पहली विश्व व्यापी लहर को देखते हुए मार्च-2020 से ही बंद पीटीआर को पर्यटकों के लिए आज खोल दिया गया और जंगल सफारी में दो सफारी से पर्यटकों को भ्रमण के लिए रवाना किया गया लेकिन उन्होंने ‘बाघ फाउंडेशन' से पीटीआर को कम से कम 12 सफारी देने की मांग की है जिससे सभी पर्यटकों को जंगल सफारी का पूर्ण आनंद प्रदान किया जा सके। आशुतोष ने पीटीआर के जंगल में दो सफारी गाड़ियों पर आज पर्यटकों को रवाना करने से पूर्व यह बात मीडिया के लोगों से कही। उन्होंने बताया कि पलामू बाघ आरक्ष देश के उन चुनिंदा नौ आरक्षों में से एक है जिनकी शुरुआत एक साथ 1974 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत की गई थी। हालांकि अब देश में कुल 52 बाघ आरक्ष हैं।
कुमार आशुतोष ने आज मेदिनीनगर में आरक्ष मुख्यालय में सैलानियों को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने की बात संवाददाताओं को बतायी। उन्होंने बताया कि सैलानियों को अब विशेष पैकेज के तहत रिजर्व क्षेत्र में अवस्थित रमणीय स्थलों का भ्रमण कराया जा रहा है जिसकी शुरुआत आज से हुई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पर्यटकों के लिए पीटीआर में घूमने के लिए तीन, चार, छह और दस हजार रुपये के पैकेज हैं, जिनमें केचकी, बेतला, पलामू किला, मिरचईया-लौध-सुग्गा झरने के अतिरिक्त नेतरहाट के मनोहारी दृश्य भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पीटीआर के इन सभी रमणीक स्थलों के भ्रमण के दौरान रास्ते में प्राकृतिक तरीके से वन क्षेत्र में विचरण कर रहे वन्यजीवों के भी दर्शन का अपना आनंद होगा।
उन्होंने बताया कि अब पीटीआर में वन्य जीवों की गणना का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है जो लगभग तीन माह तक चलेगा। यहां प्रति चार वर्षों पर वन्य जीवों की गणना की जाती है। इससे पूर्व यहां वर्ष 2018 में वन्य जीवों की गणना की गयी थी। गणना के लिए इस वर्ष 509 ट्रैप कैमरे लगाये गये हैं। इसके अलावा 300 प्रशिक्षित लोगों (टेकर्स) को भी इस कार्य में लगाया गया है जो जानवरों के मल-मूत्र एकत्रित करेंगे जिसकी जांच देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान में की जायेगी। उन्होंने बताया कि पीटीआर के लगभग 1130 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में से 414 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कोर क्षेत्र है जिसमें किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं होती है।