पासवा ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत स्कूलों को खोले जाने की मांग की

Edited By Diksha kanojia, Updated: 24 Jan, 2022 01:36 PM

paswa demands opening of schools under covid 19 protocol

पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने आज कहा कि पिछले दो वर्षां से झारखंड में स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित है, वहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में भी स्कूलों को खोलने का निर्णय ले लिया गया है,

 

रांचीः झारखंड प्रदेश प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत स्कूलों को खोले जाने की मांग को लेकर शीघ्र निर्णय लेने की मांग की है और कहा कि अन्यथा राज्य के अभिभावक, शिक्षक, बच्चे सड़क पर उतर कर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने आज कहा कि पिछले दो वर्षां से झारखंड में स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित है, वहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में भी स्कूलों को खोलने का निर्णय ले लिया गया है, ऐसी स्थिति में अब बिना विलंब किये, स्कूलों को खोला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों की ओर से समय-समय पर पर्व-त्योहार मनाये जाने की मांग को लेकर मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च को खोलने की मांग की जाती है, लेकिन अब तक पासवा को छोड़ कर किसी भी संस्था की ओर से बच्चों की पढ़ाई को लेकर स्कूलों को खोलने की मांग नहीं उठायी गयी है।

पासवा के प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि जब झारखंड समेत देश-दुनिया के बुद्धिजीवी यह कह रहे है कि यदि स्कूलों और अब और अधिक समय तक बंद रखा गया, तो आने वाली पीढ़ी की बौद्धिक क्षमता प्रभावित होगी, इससे निपटने के लिए स्कूलों को खोलने पर सरकार को विचार करना चाहिए। एक कक्षा में भले ही पांच अथवा दस बच्चों को बिठाकर पढ़ाई की जाए या बेंच को दूर-दूर लगाया अथवा अन्य उपाय किए, लेकिन अब स्कूल को खोलने के संबंध में निर्णय हो जाना चाहिए।

पासवा के प्रदेश महासचिव डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि एक ओर सरकार यह तकर् दे रही है कि स्कूल बंद होने से बच्चे घर में सुरक्षित है, लेकिन सरकार अपने अधिकारियों को गांव-मुहल्ले में भेज कर यह जांच करा लें कि बच्चे सड़क या मैदान में खेल रहे या घर में बैठे है। कई साधन संपन्न परिवार के लोग अपने बच्चों को ट्यूशन भी भेज रहे है, लेकिन गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चों के लिए पढ़ाई और ज्ञान के लिए स्कूल ही एक बड़ा आसरा है, इसलिए सरकार को अब इस विषय पर तुरंत निर्णय लेना चाहिए। विनय

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