Edited By Harman, Updated: 21 Jan, 2025 01:37 PM
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। इन सांसदों पर 2022 में...
नई दिल्ली/ रांची: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि झारखंड पुलिस की प्राथमिकी के मामले में सांसदों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। इन सांसदों पर 2022 में सूर्यास्त के बाद अपने विमान को देवघर हवाई अड्डे से उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए हवाई यातायात नियंत्रण को दबाव डालने का आरोप है।
जानकारी हो कि न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया, जिसने सांसदों के खिलाफ दर्ज झारखंड पुलिस की प्राथमिकी को रद्द कर दिया था। पीठ ने राज्य सरकार को जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को चार सप्ताह के भीतर विमानन अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारी को भेजने की स्वतंत्रता दी। पीठ ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का सक्षम प्राधिकारी कानून के अनुसार निर्णय लेगा कि अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने की आवश्यकता है या नहीं। शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर को झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्चतम न्यायालय ने दोनों सांसदों के खिलाफ झारखंड सीआईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आरोपों की जांच करना डीजीसीए की जिम्मेदारी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि मामला विमान अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने योग्य है जिसने विमानन अपराधों से संबंधित पूरी जिम्मेदारी डीजीसीए को दी है।
iगौरतलब है कि मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा थाना में दुबे और तिवारी सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है। सांसदों ने 31 अगस्त, 2022 को कथित रूप से हवाई अड्डा सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए देवघर हवाई अड्डे पर एटीसी कर्मियों पर निर्धारित समय के बाद अपने निजी विमान को उड़ान भरने की मंजूरी देने के लिए दबाव डाला था। शीर्ष अदालत का फैसला झारखंड सरकार की एक याचिका पर आया है, जिसमें 13 मार्च, 2023 के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।
बता दें कि उच्च न्यायालय ने इस आधार पर प्राथमिकी को रद्द कर दिया था कि विमानन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार, प्राथमिकी दर्ज करने से पहले लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी। कानून के तहत, किसी सांसद के खिलाफ कोई भी प्राथमिकी लोकसभा सचिवालय से अनुमोदित होनी चाहिए। उच्च न्यायालय की कार्यवाही के दौरान दुबे के वकील ने दलील दी कि 31 अगस्त, 2023 को उनकी विशेष उड़ान में देरी हुई थी, लेकिन विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के आधे घंटे बाद उड़ान भरी जा सकती थी। उन्होंने कहा, उस दिन सूरज शाम करीब 6.03 बजे अस्त हुआ, जबकि विमान ने 6.17 बजे उड़ान भरी, जो उड़ान के स्वीकृत मानदंडों के भीतर था। वकील ने दलील दी थी कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया गया और दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे मामले में फंसाया गया।