तेजस्वी यादव ने किया भावुक पोस्ट, कहा- बिहार के करोड़ों लोगों की तकलीफ के आगे मेरा दर्द कुछ नहीं..

Edited By Ramanjot, Updated: 04 May, 2024 11:39 AM

tejashwi yadav said it is not in my blood to stop without achieving the goal

तेजस्वी यादव ने लिखा, "महीनों से अलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ़्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया। लेकिन मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के...

पटनाः राजद नेता तेजस्वी यादव शुक्रवार को अररिया में चुनावी जनसभा के दौरान मंच पर लड़खड़ा गए। तबीयत खराब होने के बाद कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों ने सहारा देकर उन्हें मंच से नीचे उतारा। वहीं अब तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भावुक पोस्ट करते हुए अपने स्वास्थ्य की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के दर्द के सामने मेरा दर्द कुछ भी नहीं हैं। 

तेजस्वी यादव ने लिखा, "महीनों से अलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ़्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया। लेकिन मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है जो नौकरी-रोजगार की आस में बैठे हैं जिनके सपनों को विगत 10 वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला गया है। मैं अपने दर्द को भूल जाता हूं जब देखता हूं कैसे गरीब माताओं-बहनों को महंगाई के कारण रसोई चलाने में भारी पीड़ा का अनुभव होता है। किसान भाइयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूं तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता।" 

"बिहार में NDA सरकार से जनता त्रस्त" 
राजद नेता ने आगे लिखा, "छात्र को पीड़ा हैं क्यूंकि उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिल पा रही। बिहार के मेरे बुज़र्गों की पीड़ा है कि उन्हें अच्छी दवाई नहीं मिल पा रही, थाना और ब्लॉक के भ्रष्टाचार से आमजन परेशान है। हर वर्ग को पीड़ा है क्यूँकि उनके अधिकार, उनका न्याय उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मैं इन सबों की तकलीफ़ में अपने आप को सांझीदार मानता हूं। बिहार में NDA सरकार से जनता त्रस्त है। ऐसे में यदि मैंने अपनीं पीड़ा की चिंता की और ये कदम रुक गए तो फिर लोगों की उम्मीदें भी बुझ जाएगीं तथा महंगाई, तानाशाही, अत्याचार और अन्याय की आग में बिहार झुलसता रहेगा। इसलिए मैंने तय किया है कि भले ही बाधा कितनी हो, भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है, झुकना नहीं है और थकना नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते जाना है, बढ़ते जाना है, जीतते जाना है जीताते जाना है। लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है।

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