Edited By Diksha kanojia, Updated: 23 Jul, 2022 05:11 PM
न्यायमूर्ति रमन्ना ने न्यायाधीशों की छवि को गलत तरीके से पेश करने पर मीडिया की भूमिका पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहा है। इससे देशभर के न्यायाधीशों के आदेश पर कई सवाल खड़े होने लगे है। सीजेआई ने कहा कि प्रिंट मीडिया की...
रांचीः उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना ने कहा कि न्यायिक रिक्तियों को न भरना और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना देश में लंबित मामलों का मुख्य कारण है।
न्यायमूर्ति रमन्ना ने न्यायाधीशों की छवि को गलत तरीके से पेश करने पर मीडिया की भूमिका पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहा है। इससे देशभर के न्यायाधीशों के आदेश पर कई सवाल खड़े होने लगे है। सीजेआई ने कहा कि प्रिंट मीडिया की अब भी कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया शून्य जवाबदेही पर काम करती है। उन्होंने कहा कि कई बार मुद्दों पर अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। मुख्य न्यायाधीश शनिवार को रांची स्थित ज्यूडिशियल अकादमी में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (एनयूएसआरएल) द्वारा आयोजित ‘‘जज का जीवन'' पर आयोजित एक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।
सीजेआई ने आज रांची में न्यायिक अकादमी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल में उप-मंडल न्यायालय और गढ़वा जिले के नगर उंटारी (नगर उंटारी) में उप-मंडल न्यायालय का भी ऑनलाइन उद्घाटन किया। सीजेआई ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) के प्रोजेक्ट शिशु के तहत कोविड-19 महामारी में माता-पिता दोनों को खो चुके बच्चों को छात्रवृत्तियां भी वितरित कीं। इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन, न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह, न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर, न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद भी उपस्थित थे।