संथाल समाज की अस्मिता के लिए मांझी थान और जाहेर थान का संरक्षण आवश्यक: बाबूलाल मरांडी

Edited By Khushi, Updated: 05 Dec, 2024 06:42 PM

conservation of manjhi than and jaher than is essential for the identity

झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि संथाल समाज की अस्मिता और संस्कृति उनके पवित्र पूजा स्थल जाहर थान और मांझी थान से जुड़े हैं।

रांची: झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि संथाल समाज की अस्मिता और संस्कृति उनके पवित्र पूजा स्थल जाहर थान और मांझी थान से जुड़े हैं।

मरांडी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में इन पूजा स्थलों पर शिलान्यास करते हुए कहा कि आज अपने गांव कोदईबांक के मुहाने पर मांझी थान (संताल आदिवासी समाज के पूजा स्थल) के शिलान्यास का सौभाग्य प्राप्त हुआ। संथालों का दो ही पूजा स्थल होता है, एक जाहेर थान और दूसरा मांझी थान। ये हमारे संताल समाज की पवित्र पहचान है।

मरांडी ने कहा कि अगर गांव से मांझी थान और जाहेर थान समाप्त हो जाएगा तो संथाल जाति भी समाप्त हो जाएगी। हम तभी तक संथाल हैं, जब तक हम ज़ाहेर थान-मरांग बुरू को पूजते हैं। जाहेर थान में मरांग बुरू की पूजा संथालों की पहचान है। ठीक वैसे ही, हम पिलचु हाड़म और पिलचु बूढ़ी के वंशज हैं और उनकी आराधना करते हैं। यही हमारी जड़ें, हमारी परंपरा और हमारे संथाल होने की सबसे बड़ी पहचान है। 

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