सुखाड़ की आशंका को लेकर कृषि मंत्री की अध्यक्षता में महामंथन, कृषि वैज्ञानिकों के साथ रायशुमारी

Edited By Diksha kanojia, Updated: 27 Jul, 2022 12:16 PM

great churning under chairmanship of agriculture minister regarding fear

2022 में औसत से 58 फ़ीसदी कम बारिश होने की वजह से किसानों में मायूसी है। किसान के चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार रहे इसके लिए आज कृषि मंत्री बादल की अध्यक्षता में कृषि विज्ञान केंद्र आईसीएआर बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि कृषि वैज्ञानिकों के साथ...

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिशा-निर्देश में राज्य में सुखाड़ की आशंका को लेकर कृषि विभाग सतर्क हो गया है। 2022 में औसत से 58 फ़ीसदी कम बारिश होने की वजह से किसानों में मायूसी है। किसान के चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार रहे इसके लिए आज कृषि मंत्री बादल की अध्यक्षता में कृषि विज्ञान केंद्र आईसीएआर बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि कृषि वैज्ञानिकों के साथ राज्य के वर्तमान हालात पर महामंथन किया गया।

नेपाल हाउस स्थित सभागार में कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री बादल ने कहा कि राज्य में भीषण संकट की आशंका प्रबल होती जा रही है। सबसे कम बारिश की वजह से बुवाई का काम काफी कम हुआ है जो एक चिंता का विषय है। बादल ने कहा कि ऐसी विषम परिस्थिति में राज्य के किसान कृषि वैज्ञानिकों से शोध की गुणवत्ता के उत्कृष्ट उदाहरणों की अपेक्षा रखता है। राज्य के निर्माण में कृषि वैज्ञानिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाये और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप दस्तावेज तैयार कर किसानों तक जागरूकता अभियान चलाया जाए। हमें राज्य मल्टीक्राप को बढ़ावा देने के लिए चावल और गेहूं के साथ दाल और दलहन व अन्य खेती पर भी फोकस करना होगा साथ ही फूड सिक्योरिटी के साथ न्यूट्रिशन सिक्योरिटी लोगों को मिले इसका भी ख्याल रखने की जरूरत है। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र को क्वालिटी सीड्स प्रोडक्शन हेतु आधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने की भी बात कही।

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को लेकर वह काफी चिंतित हैं और झारखंड राज्य फसल राहत योजना के तहत राज्य के 20,000 कॉमन सर्विस सेंटर किसानों को असिस्ट कर रहे हैं। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले 20 दिन काफी क्रिटिकल है इसलिए सभी को मिलकर काम करना होगा। जरूरत इस बात की है कि सुखाड़ की स्थिति में भी संभावनाओं की तलाश जारी रखी जाए और अगर भविष्य में सुखाड़ जैसे हालात बनते हैं तो केंद्र सरकार से अनुदान के लिए राज्य सरकार की ओर से मजबूत तरीके से दावेदारी पेश की जानी चाहिए।

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