झारखंड में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य व्यवस्था, मंत्री मस्त, जनता त्रस्त: कुणाल षाड़ंगी

Edited By Diksha kanojia, Updated: 04 Apr, 2022 11:10 AM

health on ventilator in jharkhand kunal shadangi

षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में कैबिनेट मंत्री एयरकंडीशन कमरे और गाड़ियों में ऐश फरमा रहे हैं, वहीं जनता को अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिलती। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले की एमजीएम अस्पताल के आईसीयू में एसी ख़राब पड़े हैं, और बड़े चिकित्सकों के...

रांचीः झारखंड में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने हेमंत सरकार पर जबरदस्त पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कोल्हान की बड़े शासकीय अस्पताल एमजीएम में व्याप्त लापरवाही के मसले पर सरकार को विफल बताया।

षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में कैबिनेट मंत्री एयरकंडीशन कमरे और गाड़ियों में ऐश फरमा रहे हैं, वहीं जनता को अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिलती। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले की एमजीएम अस्पताल के आईसीयू में एसी ख़राब पड़े हैं, और बड़े चिकित्सकों के दफ्तरों की व्यवस्था दुरुस्त है। भाजपा प्रवक्ता षाड़ंगी ने झारखंड सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था अबतक के निचले पायदान पर तो थी ही, अब स्वास्थ्य व्यवस्था भी वेंटिलेटर पर लेट चुकी है। न तो टीकाकरण में, न ही डॉक्टरों की कमी से और न ही आने वाले समय में कोरोना से जुड़े किसी संभावित ख़तरे को लेकर सरकार के स्तर पर कोई तैयारी दिखती है।

मंत्रियों में सिर्फ झूठी वाहवाही लेने की होड़ मची हुई है और जनता इनकी प्राथमिकता में कहीं नहीं है। कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य मंत्री ने घोषणा की कि 500 करोड़ रुपए में एमजीएम का कायाकल्प होगा। कई विभागों में विभागाध्यक्ष नहीं हैं और करोड़ों रुपए की मशीनें ऑपरेटर के अभाव में सढ रही हैं। बिना पैरवी के ज़रूरतमंद गर्भवती महिलाओं का ईलाज नहीं हो पाता है। हाल में माननीय मंत्री महोदय के ज़लिे के मुसाबनी की एक औरत के गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु हो गई लेकिन चार दिनों तक मृत शिशु को मां के शरीर से निकाला नहीं गया। सरकार बने दो साल से ज़्यादा समय हो चुका है।

राज्य सरकार में अगर हिम्मत है तो स्वास्थ्य विभाग में केंद्र सरकार और अन्य मदों से मिली राशि के ऑडिट करवाया जाए और राज्य सरकार जनता के सामने सार्वजनिक करे कि विभाग ने किन बिंदुओं पर कैसे पैसे खर्च किए हैं। कहा कि सस्ती बयानबाज़ी छोड़ विभागीय मंत्री को युद्ध स्तर पर व्यवस्था सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

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