Edited By Diksha kanojia, Updated: 14 Nov, 2021 10:39 AM
इस बैठक में विशेषकर राजमहल-तालझारी कोल परियोजना, हुरर कोल परियोजना, सियाल कोल परियोजना को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनों तथा समस्याओं और उसके निदान को लेकर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। इसके अलावा के खदानों की नीलामी को लेकर भी चर्चा हुई। इस दौरान...
रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी की उपस्थिति में झारखंड में अवस्थित कोल माइंस से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अधिकारियों के बीच शनिवार को उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में विशेषकर राजमहल-तालझारी कोल परियोजना, हुरर कोल परियोजना, सियाल कोल परियोजना को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनों तथा समस्याओं और उसके निदान को लेकर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।
इसके अलावा के खदानों की नीलामी को लेकर भी चर्चा हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोल माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण, रैयतों को मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और नौकरी एवं सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर अपना पक्ष रखा। केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा कि कोल खनन को लेकर राज्य सरकार की जो भी मांग है, उस पर केंद्र सरकार विचार विमर्श कर आवश्यक कारर्वाई करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के द्वारा कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि इन सभी कोल माइंस में 75 परसेंट नौकरी स्थानीय लोगों को दिया जाए।
इसके अलावा कोल माइंस के लिए जो टेंडर कॉन्ट्रैक्ट जारी किए जाते हैं, उसने भी स्थानीय लोगों को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इससे जहां कोल माइंस को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनें खत्म होगी, वही स्थानीय लोगों को भी व्यापक स्तर पर रोजगार के मौके मिलेंगे। उन्होंने रैयतों को मुआवजा और सरकार को सरकारी जमीन के अधिग्रहण केबदले मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर भी केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा।