अब खेत से बाजार तक महिलाओं का कमाल! CM नीतीश ने बदली बिहार की तस्वीर

Edited By Swati Sharma, Updated: 19 Aug, 2025 04:14 PM

38 lakh women farmers are changing the face of bihar

Bihar News: बिहार की मिट्टी अब महिलाओं के हाथों से नई कहानी लिख रही है। कभी अपने घर की चौखट तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज खेत, खलिहान और कारोबार का नेतृत्व संभाल रहीं हैं। इसका श्रेय जाता है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच और उनकी सरकार की उन योजनाओं...

Bihar News: बिहार की मिट्टी अब महिलाओं के हाथों से नई कहानी लिख रही है। कभी अपने घर की चौखट तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज खेत, खलिहान और कारोबार का नेतृत्व संभाल रहीं हैं। इसका श्रेय जाता है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच और उनकी सरकार की उन योजनाओं को, जिन्होंने महिलाओं को खेती-बाड़ी से लेकर कारोबार तक के लिए सशक्त और जिम्‍मेदार बनाया है।

38 लाख महिलाएं बनीं आधुनिक किसान
राज्यभर में अब तक 38 लाख से अधिक महिला किसान आधुनिक खेती के तौर-तरीके सीख चुकी हैं। यह बदलाव जीविका योजना और कृषि विभाग की साझेदारी का नतीजा है। अब बिहार के गांव-गांव में खुले 519 कस्टम हायरिंग सेंटर हैं। जहां से महिलाएं ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, थ्रेशर और पावर टिलर जैसी मशीनें किराए पर ले रही हैं। इससे न सिर्फ खेती की लागत घटी है, बल्कि मानव श्रम में कमी आई है और उत्पादन भी दोगुने रफ्तार से बढ़ा है। पशुपालन और नीरा उत्पादन में भी महिलाएं आगे खेती ही नहीं, महिलाएं अब बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन और छोटे डेयरी कारोबार से भी कमाई कर रही हैं। आज 10 लाख से ज्यादा परिवार इनसे जुड़े हैं। बीते साल महिला स्वयं सहायता समूहों ने 1.9 करोड़ लीटर नीरा का उत्पादन और बिक्री की। इससे न सिर्फ गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई बल्कि महिलाओं के लिए स्थायी आमदनी का नया जरिया भी बना। अररिया में तो सीमांचल बकरी उत्पादक कंपनी के तहत करीब 20 हजार परिवार जुड़ भी चुके हैं।

बाजार तक महिलाओं की पकड़
खेती में व्यापारिक सोच लाने के लिए अब 61 किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs) पूरी तरह महिलाओं के हाथों में हैं। ये कंपनियां खेत से उपज खरीदती हैं, उसका प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करती हैं और फिर बाजार ले जाकर बेचती भी हैं। इसका सीधा फायदा महिला किसानों को मिल रहा है। उनकी मेहनत को सही दाम मिल रहा है और घर में भी सम्‍मान मिल रहा है। 

शहद से लेकर ड्रोन तक
आज बिहार में कुल 11,855 महिलाएं मधुमक्खी पालन कर रही हैं। इनकी मेहनत ने अब तक 3,550 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया है।  इसके अलावा, सरकार की ‘ड्रोन दीदी योजना’ ने महिलाओं के हाथों में टेक्नोलॉजी थमा दी है। इस योजना में महिलाओं को ड्रोन खरीदने पर 80 फीसद यानी 8 लाख रुपये अनुदान मिल रहा है और बाकी राशि जीविका समूह उपलब्ध करा रहे हैं। आने वाले दो साल में देशभर के 14,500 महिला समूहों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।

खेत-खलिहान की नई इबारत
जैविक खेती, बीज संरक्षण, सब्जी-फल प्रसंस्करण और कृषि उत्पादों में विविधता, इन सबमें महिलाएं अब बराबर की भागीदार हैं। गांव की चौखट से निकलकर खेतों में ड्रोन उड़ाती महिलाएं इस बदलाव का सबसे बड़ा सबूत हैं। बिहार की बदलती तस्वीर साफ कह रही है।

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