ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट को शराब पीने का निर्णायक सबूत नहीं माना जा सकता: पटना उच्च न्यायालय

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Jun, 2024 02:07 PM

breath analyser report is not conclusive proof of drinking alcohol patna hc

अदालत ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने भी कई मामलों में फैसला सुनाया है कि ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट किसी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी सजा देने का आधार नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सुपौल के जिलाधिकारी के 11 जनवरी 2020...

पटना: पटना उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा कि ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट को शराब पीने का निर्णायक और पुख्ता सबूत नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति बी. चौधरी ने बिहार के सुपौल जिले में अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) कार्यालय के लिपिक प्रभाकर कुमार सिंह को ड्यूटी के दौरान शराब पीने के आरोप में बर्खास्त किए जाने के संबंध में दायर याचिका की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट आरोपित के शराब पीने का अनुमान लगाने का आधार नहीं हो सकती। 

वहीं, रक्त और मूत्र के नमूनों की प्रयोगशाला जांच इस निष्कर्ष पर पहुंचने का आधार हो सकती है। अदालत ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने भी कई मामलों में फैसला सुनाया है कि ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट किसी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी सजा देने का आधार नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सुपौल के जिलाधिकारी के 11 जनवरी 2020 के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एसडीओ कार्यालय में तैनात लिपिक प्रभाकर सिंह को बर्खास्त कर दिया गया था।

न्यायालय ने बताया कि मामले में प्रभाकर सिंह को दोषी पाए जाने से पहले कोई रक्त परीक्षण और मूत्र परीक्षण नहीं किया गया था। प्रभाकर सिंह को ड्यूटी के दौरान शराब पीने का दोषी पाया गया था और विभागीय कार्यवाही के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। 

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