Edited By Ramanjot, Updated: 19 Aug, 2025 07:52 PM

बिहार मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में कृषोन्नति योजना अंतर्गत राज्य के 20 बाजार प्रांगणों में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) डी॰पी॰आर॰ आधारित योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान की है।
पटना:बिहार मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में कृषोन्नति योजना अंतर्गत राज्य के 20 बाजार प्रांगणों में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) डी॰पी॰आर॰ आधारित योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान की है। इस योजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से 06 करोड़ रुपये की राशि वन टाईम ग्रांट के रूप में उपलब्ध कराई गई है, जो शत-प्रतिशत केन्द्रांश होगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को अपनी उपज के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत मंच प्रदान करना है।
इस योजना का उद्देश्य कृषि वस्तुओं के व्यापार के लिए एकीकृत बाजार प्रदान करना तथा कृषि उत्पादो के आगमन, गुणवत्ता एवं मूल्य, खरीद और बिक्री प्रस्ताव, व्यापार प्रस्तावों का संचालन करने का प्रावधान और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे सेवायें प्रदान करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार की सुविधा प्रदान करना है।
इससे कृषक, व्यापारी एवं एफ०पी०ओ० अपने फसल को पूरे देश भर के बाजार में विपणन कर उचित मूल्य प्राप्त कर पायेंगे। ऑनलाईन भुगतान की सेवा की सुविधा के जरिए किसानों को अपने उपज बेचने में आसानी होगी।
डिजिटल कृषि निदेशालय से होगी बेहतर अनुश्रवण व्यवस्था
कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने बताया कि बिहार में देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय पहले ही गठित किया जा चुका है। ई-नाम योजना को इससे जोड़ने के बाद राज्य के बाजार प्रांगणों का अनुश्रवण और अधिक प्रभावी और पारदर्शी तरीके से किया जा सकेगा। किसानों को अपनी उपज की बिक्री में सुविधा और खरीदारों को गुणवत्ता आधारित खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
ई-नाम किसानों के लिए राष्ट्रीय स्तर का मंच
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है। इसका संचालन लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में किया जाता है। यह मंच वर्तमान एपीएमसी मंडियों को आपस में जोड़कर किसानों और व्यापारियों को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत बाजार उपलब्ध कराता है।
किसानों को मिलेंगे प्रत्यक्ष लाभ
प्रधान सचिव कुमार ने कहा कि ई-नाम से कृषि विपणन में एकरूपता आएगी तथा एकीकृत मंडियों की प्रक्रियाएं सरल और सुव्यवस्थित होंगी। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सूचना की असमानता दूर होगी और वास्तविक मांग एवं आपूर्ति के आधार पर रियल-टाइम मूल्य खोज संभव होगी। इसके अतिरिक्त उपज की गुणवत्ता पर आधारित पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया से किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा। साथ ही, समय पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा किसानों की आय सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
बिहार कृषि के लिए ऐतिहासिक कदम
इस पहल से बिहार के किसानों को स्थानीय मंडियों तक सीमित रहने की आवश्यकता नहीं होगी। वे अब पूरे देश में अपने कृषि जिंसों का व्यापार कर पाएंगे। इससे राज्य में कृषि व्यापार को नई दिशा मिलेगी और किसानों को बेहतर दाम, बड़े बाजारों तक पहुँच और प्रतिस्पर्धी माहौल प्राप्त होगा। यह कदम बिहार को कृषि क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला साबित होगा।