बिहार पुलिस का बड़ा कदम : अनुसंधान से जांच तक पूरी प्रक्रिया होगी डिजिटल

Edited By Ramanjot, Updated: 17 Aug, 2025 07:26 PM

bihar police digitalization

राज्य का पुलिस महकमा अनुसंधान से लेकर जांच तक की अपनी सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल करता जा रहा है। इसके लिए सभी पुलिस पदाधिकारियों खासकर अनुसंधान पदाधिकारियों को लैपटॉप से लेकर स्मार्ट मोबाइल फोन तक दिया जा रहा है।

पटना:राज्य का पुलिस महकमा अनुसंधान से लेकर जांच तक की अपनी सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल करता जा रहा है। इसके लिए सभी पुलिस पदाधिकारियों खासकर अनुसंधान पदाधिकारियों को लैपटॉप से लेकर स्मार्ट मोबाइल फोन तक दिया जा रहा है। थाना स्तर पर तैनात 40 हजार से अधिक अनुसंधान एवं जांच पदाधिकारियों के अतिरिक्त अन्य स्तर के पदाधिकारियों को स्मार्ट फोन से लेकर लैपटॉप तक मुहैया करा दिया गया है। 

पुलिस महकमा को पूर्ण रूप से डिजिटलाइज्ड करने के साथ ही इसकी रोजमर्रा की फाइलों को ऑनलाइन माध्यम से खिसकाने के लिए आईजी (आधुनिकीकरण) की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी हाल में तेलंगना, कर्नाटक और तमिलनाडू जैसे राज्यों का दौरा करके आई है, जहां की राज्य पुलिस तकरीबन पूरी तरह डिजिटाइज्ड हो गई है। देश में नया कानून बीएसएस (भारतीय न्याय संहिता) लागू होने के बाद किसी भी पुलिसिया जांच या अनुसंधान प्रक्रिया का डिजिटल साक्ष्य होना भी अनिवार्य है। इसके मद्देनजर छापेमारी, कार्रवाई, स्थल निरीक्षण या जांच की विधिवत प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग करनी है। साथ ही इसे डिजिटल साक्ष्य के तौर पर कोर्ट में प्रस्तुत भी करना है।  

डिजिटाइजेशन पर फोकस करते हुए पुलिस महकमा मोबाइल पर आधारित एप को बड़ी संख्या में विकसित कर इसका उपयोग भी शुरू कर दिया है। पासपोर्ट वेरिफिकेशन करने से लेकर अपराधियों की पहचान करने तक की प्रक्रिया को मोबाइल पर मौजूद संबंधित एप के जरिए ही संपन्न किया जा रहा है। सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) के संबंधित एप की मदद से मोबाइल से ही अपराधियों की शिनाख्त हो रही या जानकारी एक थाना क्षेत्र से दूसरे तक आसानी से आदान-प्रदान की जा रही है। राज्य में मौजूद 1300 से अधिक थानों में करीब 900 थाने सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं। शेष थानों को जोड़ने की कवायद तेजी से चल रही है। जो थाने इस नेटवर्क से जुड़ गए हैं, उनमें सभी अपराधियों या कुख्यातों का रिकॉर्ड ऑनलाइन कर दिया गया है।

इसके अलावा इमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम यानी डायल-112 और साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन- 1930 भी पूरी तरह से कंप्यूटरकृत प्रणाली है। पुलिस महकमा की सीआईडी इकाई में तमाम फाइलें ऑनलाइन माध्यम से एक से दूसरे स्थान या टेबल तक जाती हैं। इसी तर्ज पर पूरे पुलिस मुख्यालय समेत अन्य सभी जिलों से लेकर थाना स्तर तक की फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन माध्यम से हो जाएगा। अभी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा है, लेकिन जल्द ही यह सुविधा सभी थानों में शुरू हो जाएगी। साथ ही सभी लाइसेंसी हथियारों और लाइसेंस धारकों का ऑनलाइन रिकॉर्ड भी दर्ज हो जाएगा, जिसे कभी भी कहीं से देखा जा सकेगा। 

ये होंगे इससे बड़े फायदे

सभी प्रक्रिया डिजिटाइज्ड होने से पारदर्शिता बढ़ेगी। किसी साक्ष्य में छेड़छाड़ की गुंजाइश समाप्त हो जाएगी। इसकी प्रभावशीलता बढ़ जाएगी। किसी साक्ष्य या तथ्यों को कहीं से कभी भी देखा जा सकता है। किसी मामले के समुचित जांच में सहूलियत होगी और एक बार में ठोस साक्ष्य जुट जाने से दोषी को सजा दिलाने में भी आसानी होगी। इससे लंबित मामलों की संख्या में भी कमी आएगी।

इस मामले में डीजीपी विनय कुमार का कहना है कि पुलिस महकमा का पूर्ण डिजिटाइजेशन कार्य तेजी से किया जा रहा है। आने वाले कुछ महीने में सभी कार्य एवं प्रक्रियाएं ऑनलाइन हो जाएगी। इनका डिजिटाइजेशन होने से तमाम कार्यों में सहूलियत होगी।

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