‘Sextortion' रोकने के लिए फर्जी सिम कार्ड पर नकेल कसेगी बिहार पुलिस, ऐसे ग्राहकों के खिलाफ होगी कार्रवाई

Edited By Ramanjot, Updated: 03 May, 2022 04:01 PM

bihar police will crack down on fake sim cards

आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपी) नैयर हसनैन खान ने कहा, ‘‘राज्य में यौन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं। बिहार पुलिस के आर्थिक और साइबर अपराध प्रभाग (ईसीसीडी) ने पिछले तीन-चार महीनों में लगभग 15 ऐसे मामले दर्ज किए हैं। इसने एक संगठित...

पटनाः इंटरनेट पर यौन ब्लैकमेलिंग के मामलों में वृद्धि के बीच बिहार पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए हासिल किए गए सिम कार्ड पर नकेल कसने का आदेश दिया है। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने टेलीकॉम कंपनियों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड प्राप्त करने वाले ग्राहकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।

आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपी) नैयर हसनैन खान ने कहा, ‘‘राज्य में यौन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं। बिहार पुलिस के आर्थिक और साइबर अपराध प्रभाग (ईसीसीडी) ने पिछले तीन-चार महीनों में लगभग 15 ऐसे मामले दर्ज किए हैं। इसने एक संगठित अपराध का रूप ले लिया है।'' एडीजीपी के मुताबिक, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कई गिरोह हैं, जो बिहार में अपने साथियों के माध्यम से व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं। खान ने बताया, ‘‘ये अपराधी फर्जी दस्तावेज के आधार पर जारी किए गए सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि हमने टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड जारी कराने वाले ग्राहकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम लोग दिल्ली, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि उन साइबर अपराधियों की पहचान की जा सके, जो वहां से ऐसी वारदात को अंजाम देते हैं।''

अधिकारियों के अनुसार, ज्यादातर मामलों में साइबर अपराधी मुख्य रूप से फर्जी अकाउंट से व्हाट्सएप चैट के जरिये पुरुषों को निशाना बनाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ संदेश भेजने के बाद गिरोह में शामिल एक महिला बातचीत के दौरान मिले नंबर पर संबंधित व्यक्ति को वीडियो कॉल करती है और इस दौरान कपड़े उतारना शुरू कर देती है। अधिकारियों के मुताबिक, इसके बाद महिला सबूत के तौर पर अपनी नग्न वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पीड़ित को ब्लैकमेल करना शुरू कर देती है। वह सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें अपलोड करने की धमकी देती है। खान ने ऐसे गिरोह के तौर-तरीकों के बारे में बताया, ‘‘साइबर अपराधी वीडियो के स्क्रीनशॉट भेजते हैं और बदले में पैसे मांगते हैं। ये जालसाज रैंडम नंबर पर वीडियो कॉल करते हैं, जिस पर एक नग्न महिला लक्षित शिकार के साथ चैट करती है।'' एडीजीपी ने कहा कि राज्य में नवादा, गया, नालंदा, जमुई और शेखपुरा जिलों में स्थित साइबर अपराधी राजस्थान, दिल्ली, झारखंड व पश्चिम बंगाल से संचालित अंतरराज्यीय ‘सेक्सटॉर्शन' गिरोहों के लिए सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं।

अधिकारी ने बताया, ‘‘जिला पुलिस इन इलाकों में पहले से ही हाई अलर्ट पर है और वहां सक्रिय साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों या पीड़ितों से भी अनुरोध करते हैं कि वे आगे आएं और पुलिस के पास औपचारिक शिकायत दर्ज कराएं। लोगों को तुरंत पास के पुलिस स्टेशन में यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवानी चाहिए। शिकायत दर्ज कराने में संकोच न करें।'' खान के मुताबिक, इस तरह की घटनाएं बड़ी संख्या में हो रही हैं, लेकिन मुश्किल से दो से तीन फीसदी पीड़ित ही पुलिस के पास पहुंचते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों से अज्ञात व्यक्तियों के साथ वीडियो कॉल पर बातचीत नहीं करने का अनुरोध करते हैं। व्हाट्सएप पर किसी अजनबी की फ्रेंड रिक्वेस्ट (दोस्ती का अनुरोध) या वीडियो कॉल स्वीकार करना आपको मुश्किल में डाल सकता है।''

 

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