Edited By Ramanjot, Updated: 15 Jun, 2025 06:28 PM

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना को आज नया नेतृत्व मिला है। मृत्युंजय कुमार झा ने पूर्वाह्न 11:00 बजे बोर्ड के अध्यक्ष पद का विधिवत कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर बोर्ड के सचिव नीरज कुमार, परीक्षा नियंत्रक उपेन्द्र कुमार समेत सभी कर्मचारी उपस्थित...
पटना:बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना को आज नया नेतृत्व मिला है। मृत्युंजय कुमार झा ने पूर्वाह्न 11:00 बजे बोर्ड के अध्यक्ष पद का विधिवत कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर बोर्ड के सचिव नीरज कुमार, परीक्षा नियंत्रक उपेन्द्र कुमार समेत सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यभार ग्रहण समारोह में बोर्ड के माननीय सदस्य निवेदिता सिंह (MLC),अनुरंजन झा एवं धनेश्वर प्रसाद कुशवाहा ने भी भाग लिया। वेदपाठ के साथ गणमान्य अतिथियों ने नए अध्यक्ष का स्वागत किया।
संस्कृत शिक्षा के सशक्तिकरण के लिए घोषित कार्ययोजना
मृत्युंजय झा ने कार्यभार ग्रहण करते ही संस्कृत विद्यालयों की बेहतरी के लिए एक स्पष्ट और दूरदर्शी योजना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा को राज्य की मुख्यधारा में लाने और इसे समृद्ध करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाएंगे। कार्ययोजना की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- संस्कृत विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा।
- पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण कर गुरुकुल पद्धति को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
- छात्रों में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की पहचान विकसित की जाएगी।
- डिजिटल संसाधनों के प्रयोग से बोर्ड की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाएगा।
- राज्य के 648 मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों की आधारभूत संरचना को मजबूत करने का प्रयास होगा।
- छात्र संख्या में वृद्धि हेतु विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
- नामांकन एवं परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता लाने के लिए पोर्टल आधारित नामांकन की व्यवस्था होगी।
- नियमित सत्र संचालन और समय पर परीक्षाओं के आयोजन को प्राथमिकता दी जाएगी।
- संस्कृत विद्यालयों की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने हेतु विशेष अभियान चलेगा।
- समाज के सभी वर्गों तक संस्कृत पहुंचाने हेतु निःशुल्क दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण वर्ग चलाया जाएगा।

संस्कृत शिक्षा के पुनरुत्थान में सबकी भूमिका अहम: अध्यक्ष
झा ने सभी संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों एवं कर्मियों से अपील की कि वे संस्कृत के संरक्षण, संवर्धन एवं पुनर्स्थापन में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने संकेत दिया कि शीघ्र ही एक निरीक्षण दल गठित कर राज्य के सभी संस्कृत विद्यालयों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा और उपस्करहीन विद्यालयों की रिपोर्ट तैयार कर सरकार से समन्वय स्थापित किया जाएगा।

संस्थागत इतिहास और उद्देश्य
बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना की स्थापना वर्ष 1981 में की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य में संस्कृत भाषा, साहित्य और पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है। बोर्ड द्वारा राज्यभर में मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों का संचालन, पाठ्यक्रम निर्धारण, परीक्षा आयोजन एवं प्रमाण-पत्र निर्गत किया जाता है।
वेदपाठ के साथ हुआ अध्यक्ष का स्वागत
नए अध्यक्ष का स्वागत अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने वेद पाठ के साथ किया। इनमें अमरेश कुमार चौधरी, डॉ सुमित कुमार मण्डन, हेमन्त कुमार चौधरी, पवन प्रकाश, दुर्गानन्द झा (IAS), डॉ कुमुदानन्द झा सहित अनेक संस्कृतप्रेमी शामिल रहे।

जयतु संस्कृतम्, जयतु बिहारः, जयतु भारतम्!
बोर्ड की यह नई शुरुआत संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में नवचेतना और नवसंभावनाओं का संकेत देती है। आने वाले समय में संस्कृत के पुनरुत्थान में यह नेतृत्व मील का पत्थर साबित हो सकता है।