Edited By Ramanjot, Updated: 12 Aug, 2025 07:40 PM

वैशाली में स्थित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप न केवल अपनी भव्यता और अद्वितीय कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां संरक्षित भगवान बुद्ध की अस्थियां इसे और भी विशेष बनाती हैं।
पटना:वैशाली में स्थित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप न केवल अपनी भव्यता और अद्वितीय कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां संरक्षित भगवान बुद्ध की अस्थियां इसे और भी विशेष बनाती हैं। स्तूप के प्रथम तल पर स्थापित इन पवित्र अवशेषों को अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था के तहत बुलेटप्रूफ कांच में रखा गया है, ताकि इनका संरक्षण लंबे समय तक हो सके।
अस्थि कलश को एक पत्थर से बने 1.45 मीटर ऊंचे अलंकृत सिंहासन पर स्थापित किया गया है जिससे श्रद्धालु चारों ओर से पवित्र धातु अवशेष के दर्शन कर सकें। इस संरचना पर पीतल लगाया गया है, जिस पर बौद्ध कलाकृतियों को उकेरा गया है।
प्रथम तल तक पहुंचने के लिए तोरण द्वार के दोनों ओर अर्ध रैंप बनाए गए हैं। इस तल पर 40 ताक बने हैं, जिनमें भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं वाली मूर्तियां और अन्य बौद्ध कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। श्रद्धालुओं के लिए यहां एक विशेष प्रदक्षिणापथ भी बनाया गया है, जहां वे अस्थि कलश की परिक्रमा कर सकें।
संग्रहालय-सह-स्तूप केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटकीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। परिसर में एक आधुनिक पुस्तकालय, ध्यान केंद्र, संग्रहालय, आगंतुक केंद्र, एम्फीथिएटर और कैफेटेरिया की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही, पर्यटकों और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए यहां 12 निजी कक्ष और 96 लोगों के लिए डॉरमेटरी वाला अतिथि गृह भी बनाया गया है।
इस स्तूप का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थ यात्रा पथ का एक प्रमुख केंद्र भी बनता जा रहा है। यहां आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालु न केवल भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करेंगे, बल्कि वैशाली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित होंगे।