Edited By Ramanjot, Updated: 08 Jul, 2021 05:47 PM
भट्टाचार्य ने गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी के दौर में हर मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलता छुपाने के लिए बड़े पैमाने पर केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलि का बकरा ढूढ़ने की हताश कोशिश भर है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण,...
पटनाः भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब इंजन ही फेल है तो डिब्बे बदलने से क्या फायदा।
भट्टाचार्य ने गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी के दौर में हर मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलता छुपाने के लिए बड़े पैमाने पर केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलि का बकरा ढूढ़ने की हताश कोशिश भर है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, श्रम, कानून एवं न्याय, सूचना और प्रसारण सभी विभागों के मंत्री महामारी के दौर में नाकारा साबित हुए हैं तो इसका एकमात्र मतलब है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह भाग खड़ी हुई है।
भाकपा-माले महासचिव ने कहा कि जो बदलाव हुए और जिस तरह नए मंत्री बनाए गए उससे न केवल चुनावी और सांगठनिक प्राथमिकताएं उजागर हो रही हैं बल्कि अपनी नाकामियों को न मानने की वह निर्लज्ज कोशिश भी साफ दिख रही है जो कि मोदी सरकार की पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘गोली मारो' का भड़काऊ नारा देने वाले अनुराग ठाकुर, जिन पर चुनाव आयोग ने रोक लगाई थी, को नया सूचना प्रसारण मंत्री बनाना या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मनसुख मंडाविया के चयन को और कैसे समझा जा सकता है।
भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ही इस सरकार में ‘डबल इंजन' हैं और इतने बड़े पैमाने पर केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार करके यह डबल इंजन अपनी नाकामियों को छुपाने में कामयाब नहीं हो पाएगा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब इंजन ही फेल है तब डिब्बे बदलने का कोई फायदा नहीं।