Edited By Ramanjot, Updated: 18 Feb, 2025 10:17 AM
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पांडेय ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि कुंभ की महत्ता अपार है। भारत की सनातन संस्कृति सदियों से चली आ रही है और कुंभ स्नान इसका अहम हिस्सा है। करोड़ों लोग इसमें आस्था रखते हैं और इसे पुण्य का कार्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि देश के...
Bihar News: बिहार के स्वास्थ्य सह कृषि मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) के कुंभ स्नान पर दिए गए बयान पर तीखा पलटवार करते कहा कि यह भारत की सनातन परंपरा और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान है, जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है।
"कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा"
पांडेय ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि कुंभ की महत्ता अपार है। भारत की सनातन संस्कृति सदियों से चली आ रही है और कुंभ स्नान इसका अहम हिस्सा है। करोड़ों लोग इसमें आस्था रखते हैं और इसे पुण्य का कार्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों के करीब 53 करोड़ श्रद्धालु अभी तक प्रयागराज के संगम में स्नान कर चुके हैं, जो इस परंपरा के प्रति जनता की गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। इसे नीचा दिखाने या इसका मजाक उड़ाने का कोई अधिकार किसी को नहीं है।उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में आज सनातन परंपरा को अपनाया जा रहा है। न केवल भारत, बल्कि कई विदेशी श्रद्धालु भी कुंभ मेले में भाग ले रहे हैं और संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है।
मंत्री ने कहा कि जो लोग कुंभ को केवल अंधविश्वास समझते हैं, वे भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नहीं समझते। लालू और पप्पू जैसे नेता जब ऐसे बयान देते हैं, तो वे जनता से स्वयं अलग कर लेते है। बाद में उनका अस्तित्व भी खत्म हो जाता है। यदि ये नेता भारतीय संस्कृति और परंपराओं को नहीं समझते हैं, तो यह उनकी अपनी सोच हो सकती है। लेकिन देश की जनता अपनी परंपराओं के प्रति गहरी आस्था रखती है। वहीं जो लोग भारतीय परंपराओं का अपमान करते हैं, उन्हें जनता नकार देती है। सनातन परंपरा को खत्म करने की कोशिश करने वाले खुद समाप्त हो जाएंगे, लेकिन यह परंपरा आगे भी ऐसे ही चलती रहेगी।