बिहार के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को रामसर साईट में किया गया शामिल

Edited By Ramanjot, Updated: 07 Jun, 2024 04:17 PM

nagi and nakati bird sanctuaries of bihar have been included in the ramsar site

बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) की सचिव बंदना प्रियशी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘बिहार के जमुई जिले में स्थित नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य, अब रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त हैं। इससे हमारे पक्षी संरक्षण...

पटना: बिहार की दो आर्द्रभूमियों को 'रामसर कन्वेंशन' के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की वैश्विक सूची में जोड़ा गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि बिहार की इन आर्द्रभूमियों को जोड़े जाने के साथ देश में अत्यधिक मान्यता प्राप्त जलजमाव वाले पारिस्थितिक तंत्र की कुल संख्या अब 82 हो गई है। 

बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) की सचिव बंदना प्रियशी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘बिहार के जमुई जिले में स्थित नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य, अब रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त हैं। इससे हमारे पक्षी संरक्षण प्रयासों में मदद मिलेगी।'' ये दो नए आर्द्रभूमि जमुई के झाझा वन क्षेत्र में स्थित मानव निर्मित जलाशय हैं। उनके जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं। पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दोनों आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड घोषित किया गया था। रामसर स्थल एक आर्द्रभूमि स्थल है, जिसे रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के लिए नामित किया गया। 

वर्ष 1984 में आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था, जिससे कई प्रवासी प्रजातियों के लिए सर्दियों के आवास के रूप में इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया। सर्दियों के महीनों के दौरान 20,000 से अधिक पक्षी एकत्र होते थे। नागी पक्षी अभयारण्य का निर्माण नागी नदी पर बांध बनाने के बाद किया गया था, जिससे साफ पानी और जलीय वनस्पति के साथ धीरे-धीरे जल निकायों का निर्माण संभव हुआ। कुल मिलाकर, आर्द्रभूमि और इसके किनारे 75 से अधिक पक्षी प्रजातियों, 33 मछलियों और 12 जलीय पौधों के लिए आवास प्रदान करते हैं।

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