Bihar CM Nitish Kumar: 'लोकतंत्र रक्षक’ की छवि मजबूत करने में जुटे नीतीश, जानिए क्या है पूरी स्ट्रैटजी

Edited By Harman, Updated: 21 Aug, 2025 04:15 PM

nitish is busy strengthening his image as a  defender of democracy

आपातकाल को 50 साल पूरे होने के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक दांव चला है। उन्होंने जयप्रकाश नारायण आंदोलन से जुड़े सेनानियों की पेंशन राशि को दोगुना कर दी है। अब एक माह से छह माह तक जेल में रहे आंदोलनकारियों को 15 हजार और छह माह...

 

Bihar CM Nitish Kumar: आपातकाल को 50 साल पूरे होने के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक दांव चला है। उन्होंने जयप्रकाश नारायण आंदोलन से जुड़े सेनानियों की पेंशन राशि को दोगुना कर दी है। अब एक माह से छह माह तक जेल में रहे आंदोलनकारियों को 15 हजार और छह माह से अधिक समय तक जेल में रहे सेनानियों को 30 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। 

सामाजिक असर भी डालेगा ये फैसला

इस फैसले पर कैबिनेट की ओर से मंजूर कर लिया गया है। साथ ही इसे 1 अगस्त से लागू कर भी दिया गया। इतना ही नहीं, यदि किसी सेनानी का निधन हो जाता है तो उनकी पत्नी/पति या आश्रित को भी यह पेंशन मिलती रहेगी। यानी यह योजना केवल आंदोलनकारियों तक सीमित नहीं बल्कि उनके परिवार तक असर डालेगी।

समझिए राजनीतिक मायने

गौर करने वाली बात ये है कि बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दो महीने के भीतर आचार संहिता भी लग जाएगी। ऐसे में सीएम नीतीश कुमार लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जो उन्‍हें सीधे राजनीतिक लाभ पहुंचाने वाला हो। जो ऐसे में यह फैसला भी सीधे-सीधे राजनीतिक लाभ पहुंचाने वाला माना जा रहा है।

1. जेपी सेनानियों का सीधा वोट बैंक 

बिहार में करीब साढ़े तीन हजार की संख्या में जेपी आंदोलनकारी हैं। इसके अलावा उनके परिवार वाले आज भी मौजूद हैं। उनके सम्मान और पेंशन राशि को दोगुना करना नीतीश को इस वर्ग का अटूट समर्थन दिला सकता है।

2. ‘लोकतंत्र रक्षक’ छवि का मजबूत होना

नीतीश कुमार खुद जेपी आंदोलन की उपज हैं। ऐसे में यह कदम उन्हें लोकतंत्र के सच्चे रक्षक और जेपी की विरासत को आगे बढ़ाने वाले नेता के रूप में प्रोजेक्ट करता है। यह उनकी साख को पुराने वोटरों और नए युवाओं दोनों में मजबूत करता है।

3. भाजपा और कांग्रेस पर दबाव

आपातकाल की याद दिलाकर नीतीश कुमार अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को घेरने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। वहीं, भले ही प्रदेश में बीजेपी ओर जेडीयू के गठबंधन वाली सरकार है। मगर, भाजपा के सामने यह चुनौती होगी कि वह नीतीश की इस ‘जेपी कार्ड’ को कैसे काटे! ये अलग बात है कि भाजपा भी जेपी आंदोलन को अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि मानती रही है। लेकिन महत्‍वपूर्ण बात ये है कि जेपी आंदोलन से जुड़े क्रांतिकारियों का पेंशन दोगुना कर नीतीश कुमार ने आंदोलन का क्रेडिट और अपनी जन नायक नेता के रूप में तो जरूर मजबूत की है।

4. वरिष्ठ नागरिकों और पारिवारिक वोटरों पर असर

 चूंकि इस पेंशन योजना का लाभ आश्रितों को भी मिलेगा, इसका असर हजारों परिवारों तक होगा। जो सिर्फ एक वर्ग नहीं, बल्कि उनके पूरे सामाजिक-परिवारिक दायरे में नीतीश के लिए सकारात्मक माहौल भी बनाएगा।

चुनावी मास्टरस्ट्रोक! नई ऊंचाई पर काबिज हुए नीतीश

विशेषज्ञ मानते हैं कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा फैसला लेना महज एक ‘वेलफेयर स्टेप’ नहीं है, बल्कि यह एक सोचा-समझा राजनीतिक कदम है। यह न सिर्फ जेपी सेनानियों बल्कि पूरे राज्य में "लोकतंत्र के रक्षक" की भावना को जगाने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे नीतीश कुमार विपक्ष के मुकाबले एक नैतिक ऊंचाई पर खड़े दिखेंगे। जेपी सेनानियों की पेंशन दोगुनी कर नीतीश कुमार ने जहां लोकतंत्र के सिपाहियों का मान बढ़ाया है, वहीं इस कदम से चुनावी समीकरण भी उनके पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं।

 

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