नीतीश कुमार ने महिलाओं को दिया रोजगार का अवसर, स्व-रोजगार से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी बन रही हैं आत्मनिर्भर

Edited By Mamta Yadav, Updated: 17 Jan, 2025 08:51 PM

nitish kumar gave employment opportunity to women

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं को बड़े पैमाने पर स्वरोजगार का अवसर दिया है। नीतीश सरकार कई नई योजनाएं चलाकर स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं यानी जीविका दीदियों को रोजगार मुहैया करा रही हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। अब...

Patna News,(विकास कुमार): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं को बड़े पैमाने पर स्वरोजगार का अवसर दिया है। नीतीश सरकार कई नई योजनाएं चलाकर स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं यानी जीविका दीदियों को रोजगार मुहैया करा रही हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। अब जीविका दीदी को आत्मसम्मान से जीने का अवसर मिल रहा है। बिहार में अब जीविका स्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख 61 हजार हो गई है, जिससे 1 करोड़ 31 लाख जीविका दीदियां जुड़ी हैं। इस लिहाज से एक करोड़ 31 लाख जीविका दीदियों को सम्मान से जीने का अवसर मिला है। खासकर इससे बिहार की ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी स्व-रोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
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‘ग्रामीण आजीविका परियोजना से मिला फायदा’
ग्रामीण आजीविका परियोजना के तहत जीविका दीदियों को स्व-रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में जीविका दीदियों को नियुक्त किया गया है। ये महिलाएं रोगियों को साफ-सफाई संबंधी सेवाएं प्रदान करेंगी। जिले में अब जीविका दीदी तालाबों का प्रबंधन भी संभालेंगी। एक एकड़ से लेकर पांच एकड़ तक के 111 तालाबों का रखरखाव और प्रबंधन जीविका समूहों को सौंपा जाएगा। जल-जीवन-हरियाली योजना के अंतर्गत 5 वर्षों के लिए नवसृजित और विकसित तालाबों के रखरखाव और उसके प्रबंधन के लिए निःशुल्क जीविका समूह को आवंटित किया जाएगा।
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‘जीविका दीदियों ने लिखी विकास की नई कहानी’
जीविका दीदियां अनेक तरह का व्यवसाय कर गांव की अर्थव्यवस्था को नया आयाम दे रहीं हैं। इसमें फसल सघनीकरण प्रणाली का सबसे अहम योगदान है। समग्र परियोजना के तहत श्री विधि से धान और गेहूं के अलावा दलहन एवं सब्जियों की खेती की जा रही है। इसके अलावा जीविका दीदियां मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, दूध उत्पादन और पौधशालाएं भी समूह में चला रही हैं। वहीं मधुमक्खी पालन में भी जीविका दीदियों का 5,196 समूह कार्यरत है। इसके साथ ही 2,740 जीविका दीदियों की समूह मेलों, खादी मॉल, वेलनेस मॉल, बिजनेस-टू-बिजनेस, बिजनेस-टू-कस्टमर आदि के माध्यम से आफलाइन और जेम पोर्टल, अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि आनलाइन पोर्टलों के जरिए भी अपने उत्पाद बेच रही हैं।
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‘समाधान यात्रा के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने दिया था निर्देश’
समाधान यात्रा के दौरान एक गांव में लोगों से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि, ‘अब जीविका दीदियां सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की निगरानी का काम भी करेंगी। वे देखेंगी शिक्षक समय पर स्कूल आ रहे हैं या नहीं और अगर इसमें उन्हें कोई गड़बड़ी दिखे तो उस संबंध में वे जिलाधिकारी या सक्षम अधिकारी के समक्ष उक्त शिक्षक की शिकायत करेंगी’। बिहार सरकार की ओर से जीविका दीदियों को एक और अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें अस्पतालों में सतरंगी चादर की व्यवस्था के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पोशाक सिलने का काम भी दिया गया है।

‘सामाजिक सुधार में भी जीविका दीदियों का बड़ा योगदान’
जीविका दीदियां न सिर्फ स्वरोजगार के क्षेत्र में बढ़िया काम कर रही हैं बल्कि सामाजिक बुराइयों पर भी करारा प्रहार कर रही हैं। शराब, नशा पान, दहेज प्रथा, सती प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध जीविका दीदियां अहम भूमिका निभा रही हैं। अलग-अलग पंचायतों में जीविका दीदियां नशा मुक्त समाज के निर्माण को लेकर शपथ ले रही हैं। वे शराब का सेवन और उसकी बिक्री नहीं होने देने की शपथ लेते हुए ‘नशामुक्त समाज हो हमारा’ का नारा दे रही हैं। गांव-गांव में घूमकर शराब से होने वाले दुष्परिणामों से लोगों को अवगत करा रही हैं और उससे बचने की सलाह दे रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के टोले-मोहल्ले में जाकर जीविका दीदियां नशा पान और दहेज प्रथा के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक कर रही हैं। वे लोगों को बता रही हैं कि दहेज लेना और देना दोनों अपराध है। घर-घर जाकर लोगों को समझा रही हैं कि कानूनी तौर पर लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष है, इससे कम उम्र में लड़की या लड़के की शादी करने पर बाल विवाह के अंतर्गत कानूनन सजा हो सकती है। जीविका दीदियां सामाजिक कुरीतियों से भी लोगों को अवगत करा रही हैं और उनसे  बचने की सलाह दे रही हैं।

अस्पतालों में ‘दीदी की रसोई’ नाम से कैंटीन की शुरुआत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद कई कार्यक्रमों में खुले मंच से जीविका दीदियों के कार्यों की सराहना कर चुके हैं। आज जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई की चर्चा हर ओर हो रही है। दीदी की रसोई के माध्यम से कम दाम में स्वादिष्ट और पोषक भोजन लोगों को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने जीविका दीदियों को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करने के लिए विभिन्न अस्पतालों में ‘दीदी की रसोई’ नाम से कैंटीन की शुरुआत की है। भोजन बनाने से लेकर मरीजों को थाली परोसने तक की जिम्मेवारी जीविका दीदियों को सौंपी गई है, जिसे वे बखूबी निभा रही हैं। इस तरह एस0एच0जी0 से जुड़ी महिलाओं को नियमित काम मिल रहा है। इसी तर्ज पर हाल ही में बने जिला परिवहन कार्यालय, पटना में भी जीविका दीदियों को कैंटीन चलाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। यह दिखाता है कि जीविका दीदियां इस काम को बखूबी निभा रही हैं और पूरी तल्लीनता से अपना काम कर रही हैं। इस तरह से ‘जीविका’ ने ग्रामीण क्षेत्रों की निर्धन महिलाओं में आत्मविश्वास और सम्मान का भाव जगाया है। उन्हें स्वावलंबी एवं सशक्त बनाया है। जीविका ने महिलाओं के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध कराकर सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है।

‘सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण’
साफ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान के लिए अनेक फैसले लिए हैं। एक तरफ सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने जीविका दीदियों को स्वरोजगार का अवसर भी मुहैया कराया है। नीतीश बाबू जानते हैं कि बिहार के सामाजिक ढांचे में बदलाव के बिना विकास की नई दिशा की तरफ लोग आगे नहीं बढ़ सकते हैं, इसलिए उन्होंने सामाजिक-आर्थिक बदलाव के नए चरण के लिए महिलाओं के उत्थान पर ध्यान केंद्रित किया है।
 

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