राष्ट्रपति ने बिहार के शराबबंदी कानून की सराहना की, राज्य की समृद्ध राजनीतिक विरासत को याद किया

Edited By PTI News Agency, Updated: 21 Oct, 2021 06:42 PM

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पटना, 21 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार में शराबबंदी कानून को लागू किए जाने की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह प्रदेश, विश्व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है।

पटना, 21 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार में शराबबंदी कानून को लागू किए जाने की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह प्रदेश, विश्व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है।

बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरे होने के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा ‘‘बिहार में राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान मुझे समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों का भरपूर स्नेह मिला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के रूप में जब भी मेरा बिहार आना हुआ, तब भी मेरे प्रति वैसे ही प्रेम और सम्मान का एहसास मुझे होता रहा है। इसके लिए मैं बिहार के सभी निवासियों, जनसेवकों, अधिकारियों, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।’’
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘‘यह बार-बार कहते हुए मुझे फख्र होता है कि बिहार की धरती विश्व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है। भगवान बुद्ध ने विश्व के आरंभिक गणराज्यों को प्रज्ञा तथा करुणा की शिक्षा दी थी। साथ ही उन गणराज्यों की लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर उन्होंने अपने संघ के नियम निर्धारित किए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने यह स्पष्ट किया था कि बौद्ध संघों के अनेक नियम आज की संसदीय प्रणाली में भी उसी रूप में विद्यमान हैं। आज महाबोधि वृक्ष के पौधे का इस परिसर में प्रत्यारोपण करके मैं स्वयं को सौभाग्यशाली अनुभव कर रहा हूं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविंद सिंह की आध्यात्मिक धाराओं से सिंचित बिहार की धरती का मुझ पर विशेष आशीर्वाद रहा है। यहां राज्यपाल के रूप में जनसेवा का मुझे अवसर मिला और उसी कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होकर उस पद की संवैधानिक जिम्मेदारियों के निर्वहन का अवसर भी प्राप्त हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज से लगभग 2400 वर्ष पहले एक गरीब महिला मुरा के पुत्र चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाने से लेकर 1970 के दशक में ईमानदारी और उज्ज्वल चरित्र के प्रतीक जननायक कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाने तक इस धरती ने समता मूलक परंपरा स्थापित की है।’’
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि बिहार में सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए प्रयास और योगदान के लिए राज्य के सभी पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री प्रशंसा के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे स्वाधीन गणतंत्र की स्थापना के लगभग 25 वर्ष बाद जब भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात हुआ तब बिहार के ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के हित में देशव्यापी संघर्ष को असाधारण नेतृत्व प्रदान किया था।

राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में जन सेवा की समतामूलक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नीतीश कुमार ने स्वाधीनता के बाद सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद के निर्वहन का कीर्तिमान स्थापित किया है। उनका सहयोग मुझे बिहार के राज्यपाल के रूप में भी मिला और भारत के राष्ट्रपति के रूप में भी मिलता रहा है।


उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत लोक स्वास्थ्य को सुधारने का राज्य का कर्तव्य स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।इस कर्तव्य में मादक पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के सेवन का निषेध करना भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि गांधीजी के सिद्धांतों पर आधारित इस संवैधानिक अनुच्छेद को बिहार विधान सभा द्वारा कानून का दर्जा देकर लोक स्वास्थ्य तथा समाज विशेषकर कमजोर वर्ग की महिलाओं के हित में एक बहुत कल्याणकारी अधिनियम बनाया गया। उस अधिनियम को कानून का दर्जा प्रदान करने का अवसर मुझे मिला था।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि जब भारत की संविधान सभा द्वारा हमारे आधुनिक लोकतंत्र का नया अध्याय रचा जा रहा था तब एक बार फिर बिहार की विभूतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि संविधान सभा के वरिष्ठतम सदस्य डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा प्रथम अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुए। 11 दिसम्बर 1946 के ऐतिहासिक दिन देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष चुने गए। इस पर अपनी विद्वत्तापूर्ण टिप्पणी करते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने संविधान सभा के अपने वक्तव्य में कहा कि यह मात्र संयोग नहीं है कि हमारे अंतरिम अध्यक्ष डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा और हमारे स्थायी अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद दोनों ही बिहार से आते हैं। वे दोनों ही बिहार की भावना, मधुरता यानि मृदुता से ओतप्रोत हैं और यह मृदुता ही भारत की मूल भावना है।

तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को यहां आए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘बिहार की रत्नगर्भा धरती और यहां के स्नेही लोगों ने मुझे हमेशा बहुत आकर्षित किया है, इसलिए जब भी मैं बिहार आता हूं, तो मुझे एक सुखद अनुभूति होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रतिभावान लोगों की धरती रही है। पूरे देश को गौरवपूर्ण बनाने वाली एक महान परंपरा की स्थापना इसी धरती पर नालंदा, विक्रमशिला व ओदंतपुरी जैसे विश्वस्तरीय शिक्षा केन्द्रों, आर्यभट जैसे वैज्ञानिक, चाणक्य यानि कौटिल्य जैसे नीति निर्माता तथा अन्य महान विभूतियों द्वारा की गई थी। आप सब उस समृद्ध विरासत के उत्तराधिकारी हैं और अब उसे आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी बिहार के सभी निवासियों की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ही दिनों बाद हम सभी देशवासी दीपावली और छठ का त्योहार मनाएंगे। छठ पूजा अब एक ग्लोबल फेस्टिवल बन चुका है। नवादा से न्यू जर्सी तक और बेगूसराय से बोस्टन तक छठी मैया की पूजा बड़े पैमाने पर की जाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि बिहार की संस्कृति से जुड़े उद्यमी लोगों ने विश्व स्तर पर अपना स्थान बनाया है। मुझे विश्वास है किए इसी प्रकार स्थानीय प्रगति के सभी आयामों पर भी बिहार के प्रतिभावान व परिश्रमी लोग सफलता के नए मानदंड स्थापित करेंगे।’’
इससे पहले राष्ट्रपति ने इस अवसर पर शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया और पवित्र बोधि वृक्ष के शिशु पौधे का रोपण किया।

कार्यक्रम को बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने भी संबोधित किया।



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