Jharkhand: किसानों से ऋण माफी का वादा करने वाली हेमंत सरकार की खुल गई पोल

Edited By Khushi, Updated: 09 Dec, 2022 11:06 AM

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किसानों से ऋण माफी का वादा करने वाली हेमंत सरकार की पोल खुल गई है। राज्य में सरकार को 3 साल पूरे हो चुके हैं और इन 3 सालों में भी हेमंत सरकार किसानों से किया गया वादा निभा नहीं पाई।

रांची: किसानों से ऋण माफी का वादा करने वाली हेमंत सरकार की पोल खुल गई है। राज्य में सरकार को 3 साल पूरे हो चुके हैं और इन 3 सालों में भी हेमंत सरकार किसानों से किया गया वादा निभा नहीं पाई। ऋण माफी योजना में बैंकों की कछुए जैसी चाल ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है।

5 लाख किसानों को ऋण माफी का इंतजार
दरअसल, हेमंत सरकार ने पहले तो किसानों को 2 लाख रुपए तक का ऋण माफ करने वादा किया था। इसके बाद 50 हजार रुपए तक का ऋण माफ करने का वादा किया गया था। साथ ही 9 लाख 7 हजार 753 किसानों का ऋण माफी के लिए चयन भी किया गया, लेकिन 6 लाख 6 हजार में से भी सरकार मात्र 4 लाख किसानों का ऋण माफ कर पाई है। 5 लाख किसानों को 50 हजार रुपए तक की ऋण माफी का इंतजार आज भी है। वहीं, विभाग ने सीएम हेमंत के द्वारा की गई समीक्षा के बाद अब विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

लाखों किसानों ने लिया हुआ है KCC लोन   
बता दें कि राज्य में KCC लोन लेने वाले किसानों की संख्या लाखों में है। राज्य में शायद ही कोई किसान का परिवार होगा ,जिसने  KCC लोन नहीं लिया हो। सरकार के द्वारा ऋण माफी की घोषणा के बाद एक उम्मीद जगी थी, लेकिन सरकार ने पहले 2 लाख के बजाय 50 हजार रुपये की ऋण माफी का झटका दिया और अब किसानों को वो भी नहीं मिल पा रहा है।

बैंकों की सुस्ती से विभाग परेशान
कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबुबक्कर सिद्धिख का कहना है कि सरकार ने जिस सोच के साथ इसकी शुरुआत की थी, उसमें कई तरह के अड़चन देखने को मिल रही हैं। किसानों की सूची उपलब्ध होने के बाद बैंकों को जो काम सौंपा गया था, वो अभी लंबित है। बैंकों ने अपनी परेशानी को विभाग के समक्ष रखा। परेशानी को दूर करने के लिए विभाग ने पहल भी तेज कर दी है।

किसानों की आंख में धूल झोंकने जैसी हुई है राजनीति 
इस बारे में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि सरकार ने जिस तरह से यू टर्न लिया है, वो उसकी मंशा को बताने के लिए काफी है। शुरू से ही सरकार ने किसानों को मरहम लगाने का राजनीतिक ढोंग किया है। किसानों की आंख में धूल झोंकना जैसी राजनीति हुई है। प्रदीप सिन्हा ने कहा कि झारखंड में ऋणमाफी की राह में रोड़े ही रोड़े हैं। कहीं आधार कार्ड का रोड़ा है, कहीं NPA का रोड़ा है, कहीं एक परिवार से 2 भाइयों की ऋणमाफी का रोड़ा है, तो कहीं कागजी प्रक्रिया का रोड़ा। 

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