आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए एसपीटी-सीएनटी जैसे कानून बने: बाबूलाल मरांडी

Edited By Khushi, Updated: 01 Jul, 2024 02:14 PM

laws like spt cnt should be made to protect water forest land

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हूल के कारण ही आदिवासियों के जल, जंगल व जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए एसपीटी-सीएनटी जैसे कानून बने। उन्होंने कहा कि आज संताल परगना की संस्कृति खतरे में है।

रांची: बीते रविवार को हूल दिवस पर संताल परगना के दौरे पर आए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हूल क्रांति के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 2 वर्ष पूर्व ही संताल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो-कान्हू के नेतृत्व में अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजातीय भाई-बहनों ने संघर्ष किया था। बलिदान दिया, जो हूल के नाम से प्रसिद्ध है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हूल के कारण ही आदिवासियों के जल, जंगल व जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए एसपीटी-सीएनटी जैसे कानून बने। उन्होंने कहा कि आज संताल परगना की संस्कृति खतरे में है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1951 की जनगणना से लेकर 2011 की जनगणना के बीच आबादी का विश्लेषण करें, तो भयावह तथ्य उजागर होते हैं।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अगर इसी प्रकार आदिवासी समाज की आबादी घटती रही, तो आजादी के 100 साल और हूल आंदोलन के लगभग 200 साल पूरा होते-होते जनजातीय समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि संताल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ जिले की स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही है।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!