Edited By Ramanjot, Updated: 14 Aug, 2023 04:47 PM

Bihar Caste Census: उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि एक अगस्त को उच्च न्यायालय के आदेश के दिन, राज्य सरकार ने देर रात अधिसूचना जारी करके जातिगत सर्वेक्षण को तीन दिनों के भीतर पूरा करने को कहा था।...
नई दिल्ली/पटना: उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण को मंजूरी देने वाले पटना उच्च न्यायालय के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई सोमवार को 18 अगस्त के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एक सोच एक प्रयास' की ओर से दायर याचिका को उच्च न्यायालय के उसी आदेश को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं के साथ 18 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
18 अगस्त को विचार करेगी कोर्ट
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि एक अगस्त को उच्च न्यायालय के आदेश के दिन, राज्य सरकार ने देर रात अधिसूचना जारी करके जातिगत सर्वेक्षण को तीन दिनों के भीतर पूरा करने को कहा था। पीठ ने कहा कि वह हर मुद्दे पर 18 अगस्त को विचार करेगी और उस समय तक सभी न्यायाधीश उच्च न्यायालय का संबंधित फैसला भी पढ़ लेंगे। उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका लंबित होने तक सर्वेक्षण का विवरण प्रकाशित नहीं करने का राज्य सरकार को निर्देश जारी किया जा सकता है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि ऐसा करना दूसरे पक्ष को सुने बिना सर्वेक्षण पर परोक्ष तौर पर रोक लगाने जैसा होगा।
न्यायमूर्ति खन्ना ने रोहतगी से कहा, ‘‘यह बिना सोच विचार जैसा होगा। मैं ऐसा नहीं करना चाहता। अठारह अगस्त को हम आप लोगों को सुनेंगे और सभी पहलुओं पर विचार करेंगे।'' शीर्ष अदालत ने सात अगस्त को बिहार में जातिगत सर्वेक्षण को मंजूरी देने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 14 अगस्त (आज) तक के लिए टाल दी थी। एनजीओ 'एक सोच एक प्रयास' के अलावा एक अन्य याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की ओर से दायर की गई है, जिन्होंने दलील दी है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना संवैधानिक जनादेश के खिलाफ है।