CM नीतीश के साथ से BJP को मिलेगा बड़ा फायदा, 3 लोकसभा चुनावों में JDU ने लाया है अच्छा खासा वोट

Edited By Nitika, Updated: 02 Apr, 2024 01:25 PM

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने से बीजेपी सहित पूरे एनडीए को सियासी फायदा होने का अनुमान है। दरअसल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने ठीक ठाक वोट शेयर हासिल किया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 59,36,786 वोट हासिल...

 

पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने से बीजेपी सहित पूरे एनडीए को सियासी फायदा होने का अनुमान है। दरअसल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने ठीक ठाक वोट शेयर हासिल किया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 59,36,786 वोट हासिल किया था।

2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 24 फीसदी वोट हासिल किया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में 20 सीट जेडीयू ने हासिल किया था। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 59,92,281 वोट हासिल किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 22.3 फीसदी वोट शेयर मिला था और जेडीयू ने इस चुनाव में दो सीट हासिल किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 89,26,679 वोट हासिल किया था। जेडीयू को 2019 में 16 सीट और 22.3 फीसदी वोट हासिल किया था। साफ है कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 16 फीसदी, 24 फीसदी और 22.3 हासिल किया था। यानि किसी भी लिहाज से जेडीयू के पास 16 फीसदी का बड़ा वोट बैंक है। ये वोट बैंक एनडीए कैंडिडेट को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। 

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में जेडीयू का वोट शेयर

साल सीट वोट वोट%
2009 20 59,36,786 24
2014 2 59,92,281 16
2019 16 89,26,679 22.3


जेडीयू में वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता
जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता है। जेडीयू अपने सहयोगियों को 16 से 24 फीसदी वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता है। यही वजह है कि बीजेपी आलाकमान ने इस बार भी नीतीश कुमार का खुले दिल से स्वागत किया। वहीं चिराग पासवान का भी रवैया नीतीश बाबू के प्रति काफी नरम हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने भी नीतीश बाबू के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। जेडीयू के वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता से एनडीए को काफी फायदा हो सकता है।

जातिगत गणना और आरक्षण में इजाफा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को सदन में घोषणा की थी कि राज्य में 60 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को बढ़ाकर 75 फीसदी किया जाएगा। इसके बाद सीएम ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और कैबिनेट ने आरक्षण के दायरे को बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी थी। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद 9 नवंबर को दोनों सदनों से इसे पारित किया गया था।

बिहार में एससी को 20 फीसदी, एसटी को दो फीसदी, अति पिछड़ा को 25 फीसदी, पिछड़ा वर्ग को 18 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा। इस बिल के लागू होने के बाद शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरी में पिछड़े, दलित और महादलित को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस वर्ग के छात्रों को सरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी एडमिशन में फायदा होगा।

बिहार में आरक्षण में इजाफे के बाद बीजेपी के सारे संभावनाओं के द्वार बंद हो गए थे। अगर इस फैसले के बाद भी नीतीश बाबू आरजेडी के साथ रहते तो बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता था।यही वजह थी कि बीजेपी आलाकमान ने नीतीश बाबू के साथ फिर से गठबंधन करने का फैसला लिया क्योंकि अगर बिना नीतीश बाबू के अब बीजेपी चुनाव लड़ती तो उसे बड़ा नुकसान हो सकता था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास के काम से भी समाज का एक बड़ा वर्ग अभी भी जेडीयू से जुड़ा हुआ है। अतिपिछड़ा और पिछड़ा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा आज भी नीतीश बाबू को ही अपना नेता मानता है। ऐसे में बीजेपी को नीतीश बाबू के साथ गठबंधन से बड़ा फायदा हो सकता है।

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