Edited By Ramanjot, Updated: 05 Dec, 2024 11:41 AM
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को आरोप लगाया कि बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने राज्य सरकार और केंद्र में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट आचरण के माध्यम से ‘‘अपराध की आय'' अर्जित की और इस ‘‘गलत तरीके से अर्जित'' धन को सफेद करने में पूर्व...
बिहार डेस्क: बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस (Sanjeev Hans) मामले में ईडी (ED) ने जांच और तेज कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में एक बार फिर दिल्ली, गुरुग्राम, कोलकाता, जयपुर और नागपुर में 13 स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान ईडी ने 60 करोड़ के शेयर, 23 लाख रुपए नकद के साथ ही 16 लाख रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा बरामद की है।
धन शोधन मामले की जांच में नए सिरे से तलाशी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को आरोप लगाया कि बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने राज्य सरकार और केंद्र में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट आचरण के माध्यम से ‘‘अपराध की आय'' अर्जित की और इस ‘‘गलत तरीके से अर्जित'' धन को सफेद करने में पूर्व राजद एमएलसी गुलाब यादव ने उनकी मदद की। संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने दोनों के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच में नए सिरे से तलाशी ली और दिल्ली, गुरुग्राम, कोलकाता, जयपुर और नागपुर में 13 स्थानों पर छापे मारे। बयान में कहा गया कि हंस के कुछ करीबी सहयोगियों और रियल एस्टेट तथा सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों के परिसरों की तलाशी ली गई।
एजेंसी ने आरोप लगाया, ‘‘ईडी की जांच से पता चला है कि संजीव हंस ने बिहार सरकार में विभिन्न प्रमुख पदों पर रहते हुए और अपनी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान भी भ्रष्ट आचरण में लिप्त होकर अपराध की आय अर्जित की है।'' ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘गुलाब यादव और अन्य सहयोगियों ने भ्रष्ट आचरण से अर्जित अवैध धन के शोधन में संजीव हंस की सहायता की है।'' बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1997 बैच के अधिकारी हंस ने बिहार ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया है, जबकि यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व विधान परिषद सदस्य हैं। यादव ने 2015 से 2020 तक मधुबनी जिले की झंझारपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया।