Edited By Swati Sharma, Updated: 28 Mar, 2023 11:03 AM
दरअसल, लोक आस्था का महापर्व चैती छठ बीते शनिवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ और खरना पर शाम को रोटी खीर का प्रसाद भक्तों ने ग्रहण किया। प्रसाद के रूप में ठेकुआ और अन्य पकवान बनाए गए। चैती छठ की खास बात यह है कि इसे नवरात्रि के छठवें दिन मनाया जाता है...
पटनाः बिहार में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ के आज आखिरी दिन छठ व्रतियों ने गंगा घाट पर उगते हुए भगवान भास्कर को देखकर पूजा-अर्चना की और 36 घंटे का निर्जला व्रत पूरा किया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में गंगा घाट पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ी।
उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ सम्पन्न हुआ चैती छठ
दरअसल, लोक आस्था का महापर्व चैती छठ बीते शनिवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ और खरना पर शाम को रोटी खीर का प्रसाद भक्तों ने ग्रहण किया। प्रसाद के रूप में ठेकुआ और अन्य पकवान बनाए गए। चैती छठ की खास बात यह है कि इसे नवरात्रि के छठवें दिन मनाया जाता है और इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जबकि नहाय खाय के दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। खरना के दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। छठ व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है और मान्यता है कि नियमों का पालन करते हुए जो भक्त छठ माता की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं माता पूरी करती हैं।
चैती छठ की परंपरा भगवान राम ने की थी शुरू
बता दें कि चैती छठ की परंपरा भगवान राम ने शुरू की थी। जब भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था, तब भगवान राम ने माता सीता के साथ अपने कुलदेवता भगवान भास्कर की पूजा की और सरयू नदी में अर्घ्य दिया था। चैती छठ के अंतिम दिन सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देने सैकड़ों की संख्या में छठ वर्ती गंगा घाट पहुंचे। भगवान भास्कर को अर्ध देने के बाद छठ व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस तरह से 4 दिन का निर्जला व्रत महापर्व चैती छठ का समापन हुआ।