Edited By Harman, Updated: 14 Jan, 2025 08:43 AM
: बिहार में 43 वर्ष के बाद अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का दो दिवसीय सम्मेलन 20 जनवरी से शुरू होगा, जिसमें देशभर से कई महत्वपूर्ण प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस सम्मेलन में 264 से अधिक प्रतिनिधि, 54 पीठासीन अधिकारी (जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं) और...
पटना: बिहार में 43 वर्ष के बाद अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का दो दिवसीय सम्मेलन 20 जनवरी से शुरू होगा, जिसमें देशभर से कई महत्वपूर्ण प्रतिनिधि शामिल होंगे। बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव और विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सोमवार को यहां बताया कि 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन 20 जनवरी से शुरू होगा और 21 जनवरी तक चलेगा। इस सम्मेलन में 264 से अधिक प्रतिनिधि, 54 पीठासीन अधिकारी (जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं) और संसद एवं विधानमंडलों से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे।
बिहार में तीसरी बार पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का आयोजन
बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने बताया कि पिछला सम्मेलन मुंबई में आयोजित हुआ था। इस बार लोकसभा ने सम्मेलन का विषय ‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ:संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधानमंडलों का योगदान' तय किया है। यादव ने बताया कि 43 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बिहार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में तीसरी बार पीठासीन अधिकारी सम्मेलन होने जा रहा है। इससे पहले वर्ष 1982 में यह आयोजन बिहार में हुआ था। वर्ष 1964 में भी यह सम्मेलन बिहार में आयोजित हुआ था, जिसकी मेजबानी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण सुधांशु ने की थी।
"पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन वर्ष 1921 में शिमला में हुआ"
नंद किशोर यादव ने सम्मेलन के इतिहास पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पहली बार यह आयोजन वर्ष 1921 में शिमला में हुआ था। यह सम्मेलन हर साल लोकसभा और मेजबान राज्य के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य संसदीय प्रक्रियाओं में समन्वय स्थापित करना और एक-दूसरे की बेहतर प्रक्रियाओं को अपनाना है। सभाध्यक्ष ने बताया कि बिहार विधानमंडल इस सम्मेलन की मेजबानी के लिए पूरी तरह तैयार है। यह आयोजन न केवल राज्य के लिए गौरव का विषय है, बल्कि संविधान और संसदीय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।