MP की जलवायु और विकास योजनाओं में कार्बन वित्त को एकीकृत करने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए विशेषज्ञ

Edited By Swati Sharma, Updated: 15 Jan, 2025 04:32 PM

carbon markets a catalyst for madhya pradesh s climate and economic goals

बुधवार को भोपाल में मध्य प्रदेश के लिए कार्बन मार्केट की परिवर्तनकारी क्षमता पर विचार-विमर्श करने के लिए शासकीय, निजी उद्यम तथा अन्य प्रमुख हितधारक एकत्रित हुए। राज्य सरकार के पर्यावरण विभाग की संस्था पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन (EPCO) और WRI...

भोपाल: बुधवार को भोपाल में मध्य प्रदेश के लिए कार्बन मार्केट की परिवर्तनकारी क्षमता पर विचार-विमर्श करने के लिए शासकीय, निजी उद्यम तथा अन्य प्रमुख हितधारक एकत्रित हुए। राज्य सरकार के पर्यावरण विभाग की संस्था पर्यावरण नियोजन और समन्वय संगठन (EPCO) और WRI इंडिया द्वारा आयोजित, “Strengthening the State of Madhya Pradesh to Leverage Benefits and Opportunities from Carbon Markets” शीर्षक वाले इस कार्यशाला में राज्य की जलवायु और विकास योजनाओं में कार्बन वित्त को एकीकृत करने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञ एकत्रित हुए।

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नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मनु श्रीवास्तव ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा, “जलवायु योजनाएं अधिक आर्थिक व्यवहार्यता की ओर बढ़ रही हैं और कार्बन मार्केट इस परिवर्तन में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मध्य प्रदेश में कई क्षेत्रों के लिए कार्बन ट्रेडिंग अब व्यवहार्य है, जिसमें सौर ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। प्रौद्योगिकी में प्रगति, शासकीय नीति समर्थन, वित्तीय संस्थानों से सहायता और मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ, अधिक क्षेत्र जल्द ही कार्बन मार्केट में भाग लेने में सक्षम होंगे। इस तरह के क्षमता विकास कार्यशालाओं के माध्यम से हमारा लक्ष्य यह सीखना है कि अपनी परियोजनाओं में कार्बन मार्केट को बेहतर तरीके से कैसे शामिल किया जाए।अवधारणा चरण के दौरान परियोजना व्यवहार्यता का आकलन करना एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण हो सकता है। WRI इंडिया ने इस तरह के कार्यों को विकसित करने हेतु राज्य सरकार का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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कार्बन मार्केट जलवायु वित्त और उत्सर्जन में कमी की दोहरी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक आवश्यक उपकरण के रूप में उभर रहे हैं। कार्बन क्रेडिट के व्यापार की अनुमति देकर- जो एक मीट्रिक टन CO2 या समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों को समावेशित करता है- यह मार्केट मार्केट जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं। कार्यशाला में नीति निर्माताओं और निजी उद्यमों के प्रतिनिधियों ने आर्थिक विकास को आगे बढ़ाते हुए जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्बन मार्केट को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में सराहा। कार्बन मार्केट की वैश्विक स्थिति, भारत के विकसित होते घरेलू मार्केट और मध्य प्रदेश के लिए क्षेत्र-विशिष्ट अवसरों के विस्तार मे चर्चा हुई। कार्यशाला की शुरुआत पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अंतर्गत वैश्विक कार्बन बाजार संरचना के अवलोकन के साथ हुई, जो कार्बन मार्केट को नियंत्रित करता है। अनुच्छेद 6 कार्बन उत्सर्जन में कमी पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक तंत्र प्रस्तुत करता है, जिसमें तीन प्रमुख घटक शामिल हैं। पहला, देशों को बातचीत की शर्तों के अंतर्गत उत्सर्जन में कमी के लिए सीधे व्यापार करने के लिए अनुच्छेद 6.2 द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों में शामिल होने की अनुमति देता है। दूसरा, मानकीकृत कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रशासित अनुच्छेद 6.4 वैश्विक कार्बन बाजार की स्थापना करता है। अंत में, अनुच्छेद 6.8 गैर-बाजार सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है, जो देशों को उत्सर्जन इकाइयों के व्यापार में शामिल हुए बिना वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

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WRI इंडिया के एसोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सुब्रत चक्रवर्ती कार्बन मार्केट ने वर्तमान वैश्विक स्थिति पर कहा कि “विश्व में लगभग 40% कार्बन मूल्य निर्धारण प्रणालियां व्यवसायों को अपने कर या अनुपालन लागत को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट का उपयोग करने देती हैं जिनमें 7 कार्बन कर और 23 उत्सर्जन व्यापार योजनाएंं (ETS) शामिल हैं। उदाहरण के लिए, सिंगापुर में कंपनियां अपने कर योग्य उत्सर्जन का लगभग 5% अंतर्राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट के साथ ऑफसेट कर सकती हैं। इसी तरह, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको और कैलिफोर्निया व्यवसायों को अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए स्वीकृत स्रोतों से सीमित संख्या में कार्बन क्रेडिट का उपयोग करने की अनुमति देते हैं।” भारत में घरेलू कार्बन मार्केट के परिदृश्य पर अंतर्दृष्टि साझा करते हुए WRI इंडिया के कार्यक्रम प्रबंधक वरुण अग्रवाल ने कहा कि हमारी शोध बताती है कि भारत का कार्बन मार्केट अब से 2030 तक अतिरिक्त 1.3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है और बिना मार्केट वाले परिदृश्य की तुलना में उत्सर्जन में कमी की लागत में 28% की कटौती कर सकता है। हालांकि, भारत के कार्बन मार्केट की सफलता अनुपालन बाजार में महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने पर निर्भर करेगी- एक विनियमित प्रणाली जहां संस्थाएं कानूनी रूप से अनिवार्य उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्बन क्रेडिट का व्यापार करती हैं। इसके लिए ऑफसेट मार्केट में मजबूत अतिरिक्तता मानदंड बनाए रखने की भी आवश्यकता होगी, जो संगठनों को ग्रीनहाउस गैसों को कम करने या हटाने वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करके अपने उत्सर्जन की भरपाई के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदने की अनुमति देता है। कार्बन क्रेडिट की अधिक आपूर्ति से बचने के लिए ये उपाय आवश्यक हैं। तकनीकी सत्र में इस बात पर विचार-विमर्श किया गया कि किस तरह से मध्य प्रदेश अपने विविध प्राकृतिक और औद्योगिक संसाधनों के साथ ऊर्जा, वानिकी, उद्योग और पशुधन जैसे क्षेत्रों में अवसरों का लाभ उठाने के लिए अद्वितीय स्थिति में है।

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'यह दृष्टिकोण न केवल वित्त जुटा सकता है बल्कि...'
प्रतिभागियों ने कार्बन मार्केट के लाभों का लाभ उठाने के लिए मध्य प्रदेश के अंतर्गत तकनीकी विशेषज्ञता और संस्थागत क्षमता के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक मानकों के अनुपालन, कार्बन राजस्व के न्यायसंगत वितरण और उत्सर्जन में कमी में पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसी चुनौतियों पर चर्चा की। इस कार्यशाला का समापन मध्य प्रदेश को भारत के कार्बन मार्केट परिदृश्य में अग्रणी के रूप में स्थापित करने के आह्वान के साथ हुआ। WRI इंडिया के एसोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सारांश बाजपेयी ने कहा कि मध्य प्रदेश जैसी उप-राष्ट्रीय सरकारें अनुच्छेद 6 उपकरणों के साथ जुड़ने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए विशिष्ट रूप से स्थित हैं। यह दृष्टिकोण न केवल वित्त जुटा सकता है बल्कि जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व भी प्रदर्शित कर सकता है। क्षमता विकास जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए कार्बन मार्केट द्वारा भारतीय राज्य को प्रदान किए गए अवसरों का पूरी तरह से दोहन कर सकते हैं।”

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