Edited By Khushi, Updated: 31 Jan, 2025 06:40 PM
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के संक्रमण की रोकथाम एवं चिन्हित मरीजों के इलाज की व्यवस्थाओं को लेकर की जा रही तैयारियों की समीक्षा...
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के संक्रमण की रोकथाम एवं चिन्हित मरीजों के इलाज की व्यवस्थाओं को लेकर की जा रही तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री डॉ इरफान अंसारी ऑनलाइन जुड़े थे।
"गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता"
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी के दुष्प्रभाव, लक्षण एवं बचाव से संबंधित जानकारी से अवगत कराया। इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, निदेशक रिम्स प्रो (डॉ) राज कुमार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक अबू इमरान एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्त तथा सिविल सर्जन उपस्थित रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान करने एवं अस्पतालों में उनके समुचित इलाज की विशेष व्यवस्था रखें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जीबीएस के संक्रमण से बचने के लिए राज्य में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए आम जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता है। यह बीमारी दूषित जल और कच्चा भोजन सेवन करने से फैलता है। लोगों में इस बीमारी को लेकर कोई भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो यह सुनिश्चित किए जाएं। यह बीमारी कोरोना संक्रमण की तरह एक-दूसरे से नहीं फैलता है, इस बीमारी को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नही है, लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाएं। जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर माध्यम है।
"गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जांच की एक निःशुल्क सेंटर स्थापित करें"
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिस राज्य, शहर या जगहों पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी के मरीज ज्यादा पाए गए है उन क्षेत्रों से झारखंड पहुंचने वाले व्यक्तियों की जांच की व्यवस्था करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर के किसी स्थान पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जांच की एक निःशुल्क सेंटर स्थापित करें। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों से कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से निपटने के लिए सभी अस्पतालों में बेड, दवा, मेडिकल ऑक्सीजन इत्यादि की पुख्ता व्यवस्था रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बीमारी से संबंधित कोई भी केस मिलने पर तत्काल रिम्स रेफर करें। संदिग्ध मरीजों को रिम्स तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अलर्ट रखें ताकि समय मरीज को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को निर्देश दिया कि इस बीमारी से संबंधित न्यूज, एक्टिविटीज एवं अपडेट पर पैनी नजर रखें ताकि बीमारी के खतरे की तैयारी समय रहते की जा सके। बीमारी के इलाज में किसी को कोई दिक्कत न हो यह भी सुनिश्चित करें।
बता दें कि रांची की एक बच्ची में गुलियन बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी होने की पुष्टि हुई है। दीपाटोली निवासी यह बच्ची हाल ही में अपने माता-पिता के साथ महाराष्ट्र नानी घर गई थी। वहां से रांची लौटने के बाद अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई। फिलहाल वह बरियातू के बालपन अस्पताल में भर्ती है। वह वहां 12 दिनों से वेंटिलेटर पर है। जिला सर्विलांस इकाई ने इसकी जानकारी मिलने के बाद अस्पताल जाकर वहां के चिकित्सकों से जानकारी ली। जिला सर्विलांस इकाई के अनुसार, जांच में उक्त बीमारी की पुष्टि हुई है। महाराष्ट्र और राजस्थान में इस बीमारी के कई केस मिले हैं। हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है। न ही यह संक्रामक है। यह एक 'ऑटोइम्यून डिजीज' है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती है। इससे नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है और मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है। कभी-कभी इससे लकवा भी होता है।