केंद्र से 1.36 लाख करोड़ रुपये का कोयला बकाया वसूलने के लिए की जाएगी कानूनी कार्रवाई: हेमंत सोरेन

Edited By Khushi, Updated: 29 Nov, 2024 09:59 AM

legal action will be taken to recover coal dues of rs 1 36 lakh crore

झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन ने बीते गुरुवार को घोषणा की कि राज्य केंद्र से अपना 1.36 लाख करोड़ रुपये का कोयला बकाया वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई करेगा।

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन ने बीते गुरुवार को घोषणा की कि राज्य केंद्र से अपना 1.36 लाख करोड़ रुपये का कोयला बकाया वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई करेगा।

सोरेन ने वर्तमान सरकार की मंत्रिमंडल की पहली बैठक के निर्णयों की मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, ‘‘केंद्र के पास राज्य के लंबित 1.36 लाख करोड़ रुपये वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।'' सोरेन ने यह भी कहा कि कोल इंडिया जैसी केंद्रीय कंपनियों से यह बकाया राज्य का अधिकार है और इसके न मिलने से झारखंड का विकास रुक रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय 'कैबिनेट बैठक' में लिया गया, लेकिन दिन में किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली। हेमंत सोरेन ने बकाये की डिटेल देते हुए बताया, ‘कुल बकाया राशि लगभग 136042 करोड़ रुपए है। इसमें शामिल हैं… वॉश्ड कोयला रॉयल्टी के रूप में 2900 करोड़ रुपए, पर्यावरण मंजूरी सीमा उल्लंघन के लिए 3200 करोड़ रुपए, भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रूप में 42142 करोड़ रुपए हैं। इस पर सूद की रकम 60 हजार करोड़ रुपए है। इस बकाया राशि के कारण राज्य में अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और विकास, स्वच्छ पेयजल शामिल है।’ उन्होंने कहा, ‘बच्चों, बुजुर्ग, किसान, मजदूर, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, विस्थापित और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक योजनाओं को लागू करने में कठिनाई हो रही है। झारखंड एक अल्प विकसित राज्य है, जो संसाधनों की कमी के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए इस राशि की जरूरत है।’

जेएमएम के नेता कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय पीठ ने राज्य के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि खनन और रॉयल्टी शुल्क वसूलने का अधिकार राज्य को है। ये भी कहा है कि रॉयल्टी एक कर नहीं है और इसलिए इस पर कोई सीमा नहीं लगाई जा सकती है। इसलिए पीएम मोदी से अनुरोध है कि इस मामले में हस्तक्षेप करें और कोयला कंपनियों को बकाया राशि भुगतान करने का निर्देश दें। जब तक राशि भुगतान नहीं हो जाती तब तक कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना चाहिए या कोल इंडिया के खाते से राज्य के खाते में सीधे क्रेडिट किया जाना चाहिए। यह राशि झारखंड के लोगों के कल्याण के लिए अधिक जरूरी है।’

बता दें कि दोबारा निर्वाचित होने के बाद सोरेन की पहली आधिकारिक बैठक मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई, जहां उन्होंने राज्य के मामलों पर चर्चा की और सोरेन ने प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया। सोरेन ने 2 नवंबर को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री झारखंड आ रहे हैं। मैं उनसे एक बार फिर हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि वे प्रदेश के लोगों का 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया (कोयला बकाया) चुकाएं। यह रकम झारखंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।''
 

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