Edited By Khushi, Updated: 04 Apr, 2025 06:08 PM
रांची: उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार को राहत देते हुए उसे रामनवमी के दौरान शोभा यात्रा के मार्गों पर बिजली आपूर्ति काटने की अनुमति दे दी है ताकि करंट लगने की घटनाएं न हों।
रांची: उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार को राहत देते हुए उसे रामनवमी के दौरान शोभा यात्रा के मार्गों पर बिजली आपूर्ति काटने की अनुमति दे दी है ताकि करंट लगने की घटनाएं न हों। झारखंड सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अप्रैल 2000 में लगभग 28 लोगों की करंट लगने से दुखद मौत होने के बाद राज्य सरकार ने यह निवारक तंत्र अपनाया था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली सरकार की एक तत्काल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। इस याचिका में उच्च न्यायालय के तीन अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) और राज्य के अन्य प्राधिकारियों को धार्मिक अवसरों पर बिजली काटने से रोक दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने सिब्बल की इन दलीलों पर गौर किया कि इन शोभा यात्राओं के दौरान दो दशक से अधिक समय से बिजली आपूर्ति बाधित की जाती रही है ताकि करंट लगने की घटनाएं न हों। इसके बाद शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश में संशोधन किया। सिब्बल ने कहा कि रामनवमी के अवसर पर एक धार्मिक शोभायात्रा के दौरान भगदड़ भी मची थी। रामनवमी के दौरान बिजली कटौती की अवधि पर राज्य सरकार के प्रस्ताव पर गौर करने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इससे लोगों का जीवन कैसे बच सकता है।''
सिब्बल ने कहा कि ऐसी यात्राओं में लोग अकसर लंबे झंडे लेकर चलते हैं जिससे करंट लगने का खतरा रहता है। पीठ ने झारखंड सरकार से कहा कि वह बिजली कम से कम काटे और शोभा यात्रा वाले मार्गों पर ही बिजली काटी जाए। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इस दौरान अस्पतालों में बिजली आपूर्ति बाधित न हो। न्यायालय ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के प्रमुख से उच्च न्यायालय में पांच अप्रैल को दोपहर तक यह हलफनामा दाखिल करने को कहा कि बिजली न्यूनतम अवधि के लिए काटी जाएगी और अस्पतालों में आपातकालीन आपूर्ति जारी रखी जाएगी। पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया और मामले में आगे की सुनवाई के लिए आठ अप्रैल की तारीख तय की। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश पर ‘‘अंतरिम एकपक्षीय रोक'' लगाए जाने का अनुरोध किया था।