Edited By Geeta, Updated: 22 Jan, 2025 05:17 PM
Bihar Road Development: बिहार के सीएम नीतीश कुमार(CM Nitish Kumar) की सरकार की उपलब्धियों में सड़कों का अहम स्थान है। इसका अंदाजा आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट से ही लगाया जा सकता है, जिसके अनुसार, बिहार(Bihar) सड़कों की डेंसिटी के मामले में देश में तीसरे...
Bihar: सड़कों के बिना किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था रफ्तार नहीं पकड़ सकती है। एक पुरानी कहावत है कि पहले अमेरिका ने सड़कें बनाई फिर उन्हीं सड़कों ने अमेरिका को सुपर पावर बना दिया, इसलिए 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में सड़कों का जाल बिछाना शुरु कर दिया। 2005 से पहले बिहार में सड़कों की जर्जर थी। 2005 से पहले सड़क में गढ्ढे थे या गढ़ढों में सड़क इसका पता लगाना भी मुश्किल होता था, लेकिन 2005 से लेकर 2025 तक सड़कों के लिहाज से बिहार ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। सड़कों के विशाल नेटवर्क ने बिहार के विकास को एक नया आयाम दिया है। अपने शासन काल में नीतीश बाबू ने सड़कों के निर्माण को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी है। बाहर से आने वाले बड़े राजनेता भी बिहार की चमचमाती सड़कों की तारीफ करते नहीं थकते हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक विरोधी भी दबी जुबान से ही सही लेकिन सड़कों की तारीफ जरुर करते हैं। साल 2005 से लेकर 2025 के बीच नेशनल हाईवे,स्टेट हाईवे और ग्रामीण सड़कों का अभूतपूर्व विकास हुआ है।
2005 से पहले बिहार के सड़कों का था बुरा हाल
जब 1951 में पहले पंचवर्षीय योजना की शुरूआत हुई थी तब बिहार को भारत के उद्योग जगत की रीढ़ कहा जाता था, लेकिन गुजरते वक्त के साथ बिहार विकास के हर पैमाने पर पिछड़ता चला गया....जहां दूसरे राज्यों में विकास की रफ्तार तेज हो रही थी.. तो वहीं बिहार आगे बढ़ने की बजाय पीछे ही छूटता जा रहा था। लालू-राबड़ी के शासन के दौरान बिहार में अपराध, नरसंहार और नक्सलवाद का बोल बाला हो गया था। बिहार में कानून व्यवस्था चरमराई हुई थी और भ्रष्टाचार चरम पर था। ऐसे में सरकार को सड़कों के निर्माण से कोई लेना देना नहीं रह गया था। एक तो नई सड़कों का निर्माण नहीं हो रहा था.. तो वहीं दूसरी तरफ देखभाल के अभाव में बनी हुईं सड़कें भी जर्जर हो गई थी। सड़कों पर हर जगह गड्ढे नजर आते थे... कुछ विद्वान तो उस दौर को ‘एन ऐरा ऑफ डार्कनेस’ की संज्ञा भी देते हैं। बहरहाल, उस दौर को दो दशक से ज्यादा बीत चुके हैं। सरकार बदली तो परिस्थितियों में भी बदलाव आने लगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता संभालने के बाद सड़कों की कायापलट करने पर जोर दिया। आज बिहार की चमचमाती सड़कों की वजह से राज्य की छवि में काफी ज्यादा सुधार आया है।
2005 के बाद बिहार के सड़कों की दशा में हुआ सुधार, कायम किया नया रिकार्ड
यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू-बीजेपी की सरकार ने सड़कों की कायापलट कर दी है। सड़कों की स्थिति में सुधार से राज्य सकल घरेलु उत्पाद में भी काफी तेजी आई है। बिहार के लोगों की जिंदगी और राज्य की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने में सड़कों का अहम योगदान रहा है। सही मायनों में कहा जाए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की सूरत काफी बदल गई है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, पहले के बिहार में सड़कों में गड्ढे ही देखने को मिलते थे, तो वहीं 2005 से लेकर 2025 तक के कालखंड में हमें चमचमाती सड़कों का जाल नजर आता है। सड़कों पर गड्ढें भी कम ही नजर आते हैं।
सड़कों का विकास नीतीश सरकार की है बड़ी उपलब्धि
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धियों में सड़कों के निर्माण का अहम स्थान है। इसका अंदाजा आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट से ही लगाया जा सकता है। इसके मुताबिक, बिहार सड़कों की डेंसिटी के मामले में देश में तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, राज्य में प्रति सौ वर्ग किलोमीटर के इलाके में दो सौ 19 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई है। वहीं देश के मामले में यह औसत घनत्व एक सौ 43 किलोमीटर ही है। इस तरह से देखें तो सड़कों के घनत्व के मामले में बिहार, देश के औसत से काफी आगे निकल गया है। हालांकि बिहार की सड़कों की दशा में आया सुधार नीतीश बाबू के 20 साल के कठोर परिश्रम का नतीजा है। 2005 से 2010 के दौरान बिहार में 23 हजार छह सौ छह किलोमीटर सड़कें बनाई गई। वहीं इसी दौरान 19 सौ 25 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत भी की गई। 2005 में जब नीतीश बाबू ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी तो बिहार में खस्ताहाल सड़कें ही थीं, लेकिन नीतीश बाबू की नीतियों की वजह से 2020-21 के लिए जारी गुड गवर्नेंस इंडेक्स में बिहार प्रमुख 18 राज्यों में 15वें स्थान पर और ग्रुप बी के राज्यों में छठे स्थान पर आ गया था। बता दें कि, सरकारी बुनियादी संरचना और यूटिलिटी सेक्टर के मामले में अब बिहार पूरे देश में पहले स्थान पर आ गया है। बिहार में सड़क,पानी और बिजली की समस्या पर सरकार ने काबू पा लिया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 से 2025 के बीच बिहार की सड़कों ने राज्य के विकास को नया आयाम दिया है। यह न केवल परिवहन बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में सुधार का भी प्रतीक बन गया है। नीतीश बाबू ने ये दिखा दिया है कि कुशल नेतृत्व और सुशासन से पुरानी चुनौतियों को पीछे छोड़ कर विकास की नई इबारत लिखी जा सकती है।