मधुबनी से टिकुली तक, बिहार की 18 पारंपरिक कलाओं का होगा संरक्षण और संवर्धन

Edited By Ramanjot, Updated: 07 Apr, 2025 07:38 PM

bihar s handicraft art will get a new identity

बिहार की समृद्ध कला और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग विभाग ने छह माह का नि:शुल्क हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया है। इस कार्यक्रम के तहत मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला, सिक्की शिल्प समेत 18 पारंपरिक कलाओं का...

पटना: बिहार की समृद्ध कला और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग विभाग ने छह माह का नि:शुल्क हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया है। इस कार्यक्रम के तहत मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला, सिक्की शिल्प समेत 18 पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के इस प्रयास से न केवल राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोया जा रहा है बल्कि शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने का भी सुनहरा अवसर दिया जा रहा है।

बेसिक से एडवांस तक मिलेगा प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम छह माह का है, जिसमें पहले तीन महीने बेसिक और अगले तीन महीने का एडवांस प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को 1000 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक का वजीफा भी मिलेगा, जिससे वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। इसके अलावा पटना नगर निगम क्षेत्र से बाहर से आने वाले प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल और वित्तीय सहायता की भी व्यवस्था की गई है। 

महिलाओं के लिए छात्रावास और वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गयी है, वहीं, पुरुष प्रशिक्षुओं को 1500 रुपये प्रति माह खाने के लिए और 2000 रुपये प्रति माह आवास एवं भोजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। 

शिल्प कला से बनेगा सुनहरा भविष्य

यह कोर्स प्रतिभागियों को शिल्प प्रशिक्षक अथवा शिक्षक बनने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही वे शिल्प उद्यमी या निर्यातक बनकर अपने करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागी भारत सरकार से कारीगर कार्ड प्राप्त करने के पात्र होंगे और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी का अवसर भी मिलेगा।

बिहार की विरासत से जुड़े 18 हस्तशिल्पों का प्रशिक्षण

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिहार की प्रसिद्ध हस्तशिल्प कलाओं की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिनमें मिथिला की विश्व प्रसिद्ध चित्रकला, जो अपनी रंग-बिरंगी और पारंपरिक डिजाइनों के लिए जानी जाती है। मधुबनी पेंटिंग, कांच पर सुनहरी चमक और जीवंत रंगों से बनी अनोखी कलाकृति टिकुली पेंटिंग, सिक्की कला में सूखी घास से तैयार की जाने वाली आकर्षक कलाकृतियां और पत्थर नक्काशी में शिलाओं पर की जाने वाली जटिल और सुंदर नक्काशी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

इसके साथ ही हस्तनिर्मित लकड़ी की सजावटी वस्तुएं एप्लिक और काशीदाकारी, लुगदी से तैयार सुंदर हस्तनिर्मित उत्पाद और बांस और बेंत शिल्प के अंतर्गत पर्यावरण-अनुकूल हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण करना भी सिखाया जा रहा है। 

बिहार की कला को मिलेगी नई ऊंचाई

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से न केवल बिहार की पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने में मदद मिलेगी बल्कि नई पीढ़ी को रोजगार के बेहतर अवसर भी मिलेंगे। यह पहल हस्तशिल्प को बढ़ावा देने और ग्रामीण कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Kolkata Knight Riders

Lucknow Super Giants

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!