सिवान में क्या हिना शहाब कर पाएंगी कमाल, वाल्मीकि नगर- महाराजगंज और पश्चिमी चंपारण में भी होगा खेल

Edited By Nitika, Updated: 23 May, 2024 02:00 PM

caste equation of 6th phase election in bihar

25 मई को वाल्मीकि नगर सीट पर लोकसभा का चुनाव होना है। जेडीयू ने यहां से सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया है तो आरजेडी ने बगहा के चीनी मिल मालिक दीपक यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांटे की टक्कर के बीच दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों की मुसीबत...

 

पटनाः 25 मई को वाल्मीकि नगर सीट पर लोकसभा का चुनाव होना है। जेडीयू ने यहां से सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया है तो आरजेडी ने बगहा के चीनी मिल मालिक दीपक यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांटे की टक्कर के बीच दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों की मुसीबत बागी प्रत्याशियों ने बढ़ा रखी है।

पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे प्रवेश मिश्रा जहां इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कल तक बीजेपी में रहने वाले दिनेश अग्रवाल ने भी स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनावी अखाड़ा में उतर चुके हैं। वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट के नतीजे तय करने में जातीय समीकरण की अहम भूमिका है। इसलिए एक बार इस सीट के जातीय समीकरण पर चर्चा करना जरुरी है। थारू आदिवासी समाज के लोगों की आबादी एक लाख 59 हजार है तो ब्राह्मणों की आबादी इस सीट पर लगभग दो लाख 15 हजार है। राजपूत और भूमिहार वोटरों की कुल मिलाकर आबादी एक लाख पांच हजार है। वहीं कुर्मी और कोइरी वोटर मिलाकर एक लाख 46 हजार की आबादी है। यहां यादवों की संख्या एक लाख 45 हजार है तो मुस्लिम वोटर भी तीन लाख 64 हजार हैं। वाल्मिकी नगर सीट पर दलित-महादलित वोटरों की आबादी 2 लाख 56 हजार है। इसके अलावा दो लाख तीस हजार वैश्य मतदाता भी नतीजों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

सिवान में 25 मई को लोकसभा चुनाव होना है। यहां से जेडीयू ने विजयालक्ष्मी कुशवाहा को टिकट दिया है। महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने यहां से अवध बिहारी चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है तो मरहूम शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं हैं। सीवान में करीब तीन लाख मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं यादव वोटरों की आबादी भी ढ़ाई लाख है तो सवा लाख कुशवाहा मतदाता भी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। वहीं 80 हजार के आसपास सहनी मतदाता भी सिवान में मौजूद हैं। इसके अलावा सिवान में अगड़ी जाति के करीब चार लाख वोटर हैं तो अत्यंत पिछड़ा वोटरों की आबादी भी ढाई लाख है। जब शहाबुद्दीन यहां की राजनीति में हावी थे तब उनका अच्छा खासा प्रभाव उच्च जातियों में भी था। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार हिना शहाब को मुस्लिम और अगड़ी जाति के मतदाता सपोर्ट कर रहे हैं। ऐसे में अवध बिहारी चौधरी मुकाबले में तीसरे नंबर पर आ सकते हैं।

25 मई को महाराजगंज लोकसभा सीट पर भी चुनाव होना है। बीजेपी ने एक बार फिर से जर्नादन सिंह सिग्रीवाल पर भरोसा जताया है तो इंडिया गठबंधन से कांग्रेस कैंडिडेट आकाश प्रसाद सिंह को टिकट मिला है। महाराजगंज लोकसभा सीट के नतीजे तय करने में जातीय समीकरण की अहम भूमिका रहती है। महाराजगंज लोकसभा सीट राजपूत बहुल माना जाता है। यहां राजपूतों की आबादी 4 लाख 38 हजार है तो भूमिहार मतदाता की भी अच्छी खासी संख्या है। यहां भूमिहार वोटर भी करीब 4 लाख के आसपास हैं तो महाराजगंज सीट पर 2 लाख 75 हजार ब्राह्मण वोटर हैं तो कुर्मी-कोइरी, एससी-एसटी और वैश्य मतदाता भी 3 लाख 90 हजार के पार हैं। महाराजगंज सीट पर करीब ढाई लाख यादव मतदाता हैं तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 75 हजार है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आकाश सिंह को भूमिहार, यादव और मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिल सकता है। वहीं राजपूत, ब्राह्मण, कुर्मी और वैश्य वोटरों का साथ सिग्रीवाल को मिल सकता है।

वहीं 25 मई को पश्चिमी चंपारण सीट पर भी लोकसभा चुनाव होना है। यहां से एक बार फिर बीजेपी ने संजय जायसवाल पर ही भरोसा जताया है। संजय जायसवाल यहां से लगातार तीन बार सांसद चुने गए हैं। अब जायसवाल की नजर यहां से चौथी बार जीतने के रिकॉर्ड पर टिकी है। हालांकि जायसवाल के लिए इस बार चुनावी लड़ाई आसान नहीं है। लालू यादव ने जायसवाल के खिलाफ एक खास रणनीति बनाई है। इसके तहत बीजेपी के कोर वोटर ब्राह्मण जाति से आने वाले कांग्रेस उम्मीदवार मदन मोहन तिवारी को मैदान में उतार दिया है। लालू यादव ने पश्चिम चंपारण में मुस्लिम-यादव के साथ कांग्रेस के पारंपरिक वोट ब्राह्मणों को भी साधने का दांव चला है। अगर जातिगत समीकरण की बात करें, तो इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम, वैश्य, यादव वोटर अहम भूमिका निभाते हैं। यहां मुस्लिम समाज के करीब 3 लाख 12 हजार वोटर हैं तो वैश्य समाज के करीब 2 लाख 50 हजार वोटर हैं।

वहीं यादव समाज के भी करीब 2 लाख 50 हजार वोटर हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 1 लाख 40 हजार है तो कुशवाहा समाज के भी करीब 2 लाख 50 हजार वोटर हैं। इसके अलावा राजपूत, भूमिहार और कायस्थों की आबादी करीब 90 हजार बताई जाती है। अगर कांग्रेस कैंडिडेट मदन मोहन तिवारी को ब्राह्मण वोटरों का साथ मिला तो यहां जायसवाल को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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