Edited By Nitika, Updated: 26 Oct, 2022 02:50 PM
कायस्थ परिवार के लोग कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा धूमधाम के साथ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ।
पटनाः कायस्थ परिवार के लोग कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा धूमधाम के साथ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है। वह कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संतान हैं। वह ज्ञान के देवता हैं। उनको यमराज का सहायक देव माना जाता है।यमलोक के राजा यमराज को कर्मों के आधार पर जीव को दंड या मुक्ति देने में कोई समस्या न हो, इसलिए चित्रगुप्त भगवान हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा लिखकर, यमदेव के कार्यों में सहायता प्रदान करते हैं। चित्रगुप्तजी का जन्म ब्रह्मदेव के अंश से न होकर संपूर्ण काया से हुआ था इसलिए चित्रगुप्त जी को कायस्थ कहा गया।
इस वर्ष 27 अक्टूबर को की जाएगी चित्रगुप्त की पूजा
वहीं पुण्य-पाप का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा इस वर्ष 27 अक्टूबर को की जाएगी। कायस्थ, पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही कलम और बहीखाते की भी पूजा करते हैं। क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को प्रिय हैं। इसके साथ ही अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित की जाती है।
एक प्लेन पेपर पर अपनी इच्छा लिखकर पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के चरणों में अर्पित करते हैं। चित्रगुप्त पूजा की रस्में मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा निभाई जाती हैं और पूरा परिवार साथ में पूजन करता है। इस दिन परिवार के लोग कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते।