​इथेनॉल उद्योग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बदलेंगे किसानों के हालात, इथेनॉल उत्पादन में देश में नंबर वन बनेगा बिहार

Edited By Swati Sharma, Updated: 24 Aug, 2024 05:18 PM

cm nitish kumar will change the condition of farmers through ethanol industry

बिहार में कृषि आधारित उत्पाद पर आधारित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूरदर्शी योजना बनाई है। बिहार में भारी उद्योगों को सहारा देने के लिए खनिजों की प्रचुरता नहीं है लेकिन इसके समृद्ध जल भंडार और उपलब्ध अनाज के कारण बिहार...

पटना (विकास कुमार): बिहार में कृषि आधारित उत्पाद पर आधारित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूरदर्शी योजना बनाई है। बिहार में भारी उद्योगों को सहारा देने के लिए खनिजों की प्रचुरता नहीं है लेकिन इसके समृद्ध जल भंडार और उपलब्ध अनाज के कारण बिहार में इथेनॉल या जैव ईंधन क्रांति संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये तथ्य समझ लिया कि बिहार में इथेनॉल क्रांति की अपार संभावनाएं हैं और अब ये तय हो गया है कि आने वाले वक्त में इथेनॉल उत्पादन में बिहार नया इतिहास रचने वाला है।

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2021 में इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति से आया बदलाव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति को साल 2021 में मंजूरी दी थी। इथेनॉल उत्पादन को प्रमोट करने के लिए नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य बिहार बन गया।यह नीति इथेनॉल के निष्कर्षण की अनुमति देता है। नई नीति से बिहार में इथेनॉल क्रांति का सपना सच होता नजर आ रहा है।अब तक,भारत सरकार ने भारी गुड़,हैवी गुड़,मानव उपभोग के लिए अनाज,गन्ने के रस,चीनी,चीनी सिरप,अधिशेष चावल और मक्का से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है। बिहार की इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति में प्लांट लगाने वाले कारोबारियों को विशेष सुविधा भी प्रदान की गई है-

*बिहार की इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति,2021 में संयंत्र और मशीनरी की लागत का 15 फीसदी (अधिकतम 5 करोड़ रुपए) तक की अतिरिक्त पूंजी सब्सिडी प्रदान करके नई स्टैंड अलोन इथेनॉल विनिर्माण इकाइयों को बढ़ावा देती है।
*नई नीति में एससी,एसटी,ईबीसी,महिलाओं,दिव्यांग जन,शहीद सैनिकों की विधवाओं,एसिड अटैक पीड़ितों और थर्ड जेंडर उद्यमियों जैसे विशेष वर्ग के निवेशकों के लिए एक अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान करती है। इनके मामले में, संयंत्र और मशीनरी की लागत का 15.75 फीसदी (अधिकतम 5.25 करोड़ रुपए) का पूंजी अनुदान सरकार देगी।
*नई नीति नए स्टैंड अलोन इथेनॉल इकाइयों के लिए समयबद्ध तरीके से लाइसेंस और मंजूरी जारे करने पर जोर देती है।

बिहार में इथेनॉल क्रांति के जनक हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में इथेनॉल क्रांति के जनक हैं। उन्होंने कहा था कि, ‘हमने 2007 में गन्ने से इथेनॉल बनाने की नीति बनाई थी और 31,000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव हमारे पास आए थे, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। केंद्र ने कहा कि चीनी उत्पादन के लिए इथेनॉल की तुलना में गन्ने को संसाधित करना अधिक आवश्यक है। हमें 2020 में पता चला कि केंद्र सरकार इथेनॉल उत्पादन पर नीति बना रही है। मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उन्हें बिहार में इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने के लिए 2007 से हमारे द्वारा उठाए गए सभी कदमों के बारे में जानकारी दी।हमने केंद्र को सूचित किया है कि गन्ना, मक्का और टूटे चावल का उपयोग करके इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है। हमने बिहार में इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए और हमें 152 प्रस्ताव मिले। हालांकि, केंद्र सरकार ने केवल 17 ऐसे संयंत्रों को मंजूरी दी। राज्य में 15 और स्थानों पर इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने के लिए काम तेजी से चल रहा है।’

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जानिए कहां-कहां होता है इथेनॉल का इस्तेमाल?
ईंधन:
इसका उपयोग जैव ईंधन के रूप में किया जाता है और साथ ही इथेनॉल-मिश्रित ईंधन का उत्पादन करने के लिये इसे प्राय: गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है। भारत में वर्तमान में वाहनों में ईंधन के तौर पर इथेनॉल का इस्तेमाल किया जाता है।ईंधन के तौर पर E1O ऑटोमोबाइल फ्यूल में 10 फीसदी इथेनॉल और 90 फीसदी पेट्रोल का मिश्रण किया जाता है। कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 5 साल कम करते हुए 2030 से 2025 कर दिया है। यानी बिहार में जिस इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा उसे ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
रासायनिक फीडस्टॉक: यह विभिन्न रसायनों के उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में कार्य करता है।
औद्योगिक विलायक: विभिन्न प्रकार के पदार्थों में विलय होने की अपनी क्षमता के कारण, इथेनॉल का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, इत्र तथा अन्य उत्पादों के निर्माण में विलायक के रूप में किया जाता है।
चिकित्सा एवं प्रयोगशाला उपयोग: इथेनॉल का उपयोग चिकित्सा एवं प्रयोगशाला में एंटीसेप्टिक, कीटाणुनाशक तथा परिरक्षक के रूप में किया जाता है।

इथेनॉल उत्पादन से होने वाले फायदे
भारत अपने कच्चे तेल की आवश्यकताओं का एक महत्त्वपूर्ण भाग को आयात करता है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि एक सफल इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम इस निर्भरता को कम करके देश के अरबों डॉलर की बचत कर सकता है। इसके अलावा इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से गन्ने और किण्वन में इस्तेमाल होने वाले अनाज़ी फसलों की मांग बढ़ती है। अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) की रिपोर्ट के अनुसार इससे बिहार में किसानों की आय में वृद्धि होगी। वहीं इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है। आधुनिक भट्टियां, विस्तारित गन्ने की कृषि और संबंधित रसद के लिए एक महत्त्वपूर्ण कार्यबल की आवश्यकता होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।इथेनॉल उत्पादन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, दहन उत्सर्जन को कम करता है और इससे भारत के कार्बन फुटप्रिंट में कमी आ सकती है। ईंधन के रूप में उपयोगी होने के अतिरिक्त इथेनॉल उत्पादन से मूल्यवान उप-उत्पाद प्राप्त होते हैं, जैसे कि घुलनशील पदार्थों के साथ आसवित शुष्क अनाज़ तथा इंसिनरेशन बॉयलर की राख से पोटाश मिलता है, जिसका उपयोग खाद के निर्माण में किया जाता है।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को इथेनॉल उद्योग का पावर हाउस बनाना चाहते हैं। इससे बिहार के किसानों को उनके फसलों की उचित मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा। साथ ही इथेनॉल उद्योग से जुड़े अन्य लाभ भी बिहार के लोगों को मिलेंगे। ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में बिहार देश में इथेनॉल क्रांति का ध्वजवाहक बनेगा।

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