Edited By Ramanjot, Updated: 07 Apr, 2025 08:05 PM

:बिहार में सांप्रदायिक और आपराधिक दंगों की घटनाओं में बीते दो दशकों में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2004 में जहां पूरे राज्य में 9,199 दंगे दर्ज किए गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर मात्र 3,186 रह गई।
पटना: बिहार में सांप्रदायिक और आपराधिक दंगों की घटनाओं में बीते दो दशकों में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2004 में जहां पूरे राज्य में 9,199 दंगे दर्ज किए गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर मात्र 3,186 रह गई। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में दंगों की घटनाओं में तीन गुना की गिरावट दर्ज की गई है, जो सामाजिक शांति और प्रशासनिक सतर्कता का सकारात्मक परिणाम है।
इस गिरावट का श्रेय मुख्य रूप से दो अहम कदमों को दिया जा रहा है—एक, वर्ष 2016 में लागू की गई पूर्ण शराबबंदी नीति और दूसरा, 2021 में शुरू की गई डायल-112 आपातकालीन सेवा। पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2015 में दंगे की घटनाएं 13,311 तक पहुंच गई थीं, लेकिन शराबबंदी के बाद 2016 में यह घटकर 11,617 हो गईं।
इसके बाद वर्ष 2021 में डायल-112 की शुरुआत के साथ यह आंकड़ा और नीचे आया। 2021 में दंगे की घटनाएं घटकर 6,298 रह गईं, जो 2024 तक गिरते हुए 3,186 पर आ गईं। वर्ष 2025 की शुरुआत में तो केवल 205 मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि दो दशकों में सबसे कम संख्या है।
डायल-112 सेवा के आने से पुलिस की सक्रियता में भारी इजाफा हुआ है। किसी भी आपात स्थिति में फोन आने के 15 से 20 मिनट के भीतर पुलिस मौके पर पहुंच रही है, जिससे झगड़े या दंगे जैसे मामलों को समय रहते नियंत्रित कर लिया जाता है। कुछ मामलों में उपद्रवियों की संख्या अधिक होने से चुनौतीपूर्ण स्थिति जरूर बनती है, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी प्रभावी ढंग से संभालने में सफलता हासिल की है।
बिहार पुलिस के डीजीपी विनय कुमार ने बताया, "शराबबंदी कानून और डॉयल-112 दंगा की घटनाओं को कम करने में बेहद कारगर साबित हुए हैं। ऐसी घटनाओं की सख्त मॉनीटरिंग की जाती है और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। मुख्यालय स्तर से इन घटनाओं पर निरंतर निगरानी रखी जाती है।"
इस तरह, एक ओर जहां सामाजिक सुधार की नीतियों का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है, वहीं पुलिस की तत्परता और तकनीकी सशक्तिकरण राज्य को अधिक सुरक्षित और शांतिपूर्ण बना रहा है।