Edited By Nitika, Updated: 31 Jan, 2024 01:39 PM

बिहार में 1990 से 2005 तक के दौर को जंगलराज कहा जाता था। इस दौर में हत्याएं और अपहरण इतने आम थे कि ऐसी घटनाओं को लोगों ने खबर मानना भी छोड़ दिया था। सत्ताधारी पार्टी के नेता ही गुंडे थे और उनके द्वारा यौन शोषण और हत्या की वारदातों को अंजाम दिया जाता...
पटनाः बिहार में 1990 से 2005 तक के दौर को जंगलराज कहा जाता था। इस दौर में हत्याएं और अपहरण इतने आम थे कि ऐसी घटनाओं को लोगों ने खबर मानना भी छोड़ दिया था। सत्ताधारी पार्टी के नेता ही गुंडे थे और उनके द्वारा यौन शोषण और हत्या की वारदातों को अंजाम दिया जाता था। लेकिन इसके बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी। ऐसी ही उस दौर की दिल को झकझोर देने वाली घटना चंपा विश्वास कांड की है, जिसमें एक आईएएस की पत्नी के साथ 2 साल तक रेप होता रहा और वो चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सका।
चंपा विश्वास कांड एक आईएएस अफसर की पत्नी की मजबूरी से जुड़ी कहानी है। दरअसल, 18 जुलाई 1990 को 1982 बैच के आईएएस अधिकारी डीडी विश्वास की शादी चंपा विश्वास से होती है। 2 नवंबर 1995 को वह पटना के बेली रोड पर शिफ्ट होते हैं। डीडी विश्वास को समाज कल्याण विकास विभाग में सचिव पद की जिम्मेदारी मिलती है। बिहार समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष राजद विधायक हेमलता यादव को बनाया जाता है। हेमलता यादव और डीडी विश्वास को आवास भी बिल्कुल पास में दिया जाता है। साल 1995 में रसूखदार नेता हेमलता यादव के 27 वर्षीय बेटे की गलत नजर चंपा विश्वास पर पड़ी।
वहीं आईएएस की पत्नी से 1995 से 1997 तक लगातार 2 साल तक रेप होता रहा। दुष्कर्म के बाद हेमलता यादव ने चंपा को चुप रहने की भी धमकी दी। एक बार तो चंपा को अबॉर्शन तक भी करवाने का नौबत पड़ गई। मृत्युंजय यादव ने न केवल चंपा बल्कि भतीजी और नौकरानी को भी हवस का शिकार बनाया। जब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई तो पुलिस अधिकारी ने भी चुप उन्हें रहने की सलाह दी। इसी बीच भाजपा नेता सुशील मोदी ने मामले का खुलासा कर सबको चौंका दिया। इसके बाद से यह घटना सुर्खियों में आ गई।
बता दें कि घटना तत्कालीन राज्यपाल के पास पहुंचने के बाद आरोपी मृत्युंजय और हेमलता को गिरफ्तार कर लिया गया। मृत्युंजय को 10 साल और हेमलता को तीन साल की सजा मिली। पति के निधन के बाद चंपा के हिस्से में गुमनाम जिंदगी आई और वह कोलकाता शिफ्ट हो गई।