PM Modi Bihar Visit: नीतीश कुमार ने PM मोदी को दिया धन्यवाद, कहा- आप यहां आए हैं, तो मुझे बहुत खुशी हुई

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Jun, 2024 01:34 PM

nitish kumar thanked pm modi

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री ने राजगीर में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल ‘‘ नालंदा महाविहार ' का भ्रमण और अवलोकन किया। नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना पाँचवीं शताब्दी में हुई थी जिसने दुनिया भर से छात्रों को...

राजगीर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी मौजूद रहे। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करता हूं, उन्हें बधाई देता हूं और धन्यवाद देता हूं। जब मुझे पता चला कि आप यहां आ रहे हैं, तो मुझे बहुत खुशी हुई। 

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"राजगीर सबसे पौराणिक जगह"
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि खुशी की बात है कि नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री मोदी के करकमलों से किया जा रहा है...पुराने नालंदा विश्वविद्यालय में देश के ही नहीं दुनिया की अनेक जगह के लोग आकर पढ़ते थे लेकिन दुर्भाग्य से ये विश्वविद्यालय 1200 ईस्वी में नष्ट हो गया था। 2005 से हम लोगों को काम करने का मौका मिला तब से हमने बिहार के विकास का काम शुरू किया। 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम बिहार आए थे और उन्होंने अपने संबोधन में नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात की थी। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी का राजगीर का 'राज' बताते हुए कहा कि ये सबसे पौराणिक जगह है। दुनिया की सबसे पहली जगह है। राजगीर मगध साम्राज्य की पहली राजधानी थी। पहले इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था..अब हम राजगीर कहते हैं। मान्यता है कि मलमास के दौरान 33 करोड़ हिंदू देवी देवता सब यहीं रहते हैं। 

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बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री ने राजगीर में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल ‘‘ नालंदा महाविहार '' का भ्रमण और अवलोकन किया। नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना पाँचवीं शताब्दी में हुई थी जिसने दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित किया। विशेषज्ञों के अनुसार 12 वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता - फूलता रहा। नए विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान पर काम करना शुरू किया। 

2017 में शुरू हुआ था विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य
विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ। इस विश्वविद्यालय में भारत के अलावा 17 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया , बांग्लादेश , भूटान , ब्रुनेई , दारुस्सलाम , कंबोडिया , चीन , इंडोनेशिया , लाओस , मॉरीशस , म्यांमा , न्यूजीलैंड , पुर्तगाल , सिंगापुर , दक्षिण कोरिया , श्रीलंका , वियतनाम और थाईलैंड की भागीदारी है। इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।   


 

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