Shibu Soren Death: शिबू सोरेन के सम्मान में झारखंड में 3 दिन का राजकीय शोक, दो दिन बंद रहेंगे सरकारी दफ्तर

Edited By Khushi, Updated: 04 Aug, 2025 12:36 PM

shibu soren death 3 days of state mourning announced

शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड में उनके समर्थकों और JMM कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

Shibu Soren dies: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अध्यक्ष शिबू सोरेन का आज यानी सोमवार को निधन हो गया है। उनके निधन से पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। शिबू सोरेन के निधन से झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में शोक की लहर है। अलग-अलग पार्टियों के नेता उनके निधन पर दुख जता रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

शिबू सोरेन के सम्मान में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा
झारखंड में उनके समर्थकों और JMM कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। राजधानी रांची स्थित झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में सुबह पार्टी का झंडा झुकाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। यह शोक 4 अगस्त 2025 से 6 अगस्त 2025 तक रहेगा। राजकीय शोक के दौरान राज्य के उन सभी भवनों पर, जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ध्वज आधा झुका रहेगा। साथ ही, इस अवधि में कोई भी राजकीय समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि राज्य सरकार के सभी कार्यालय 4 और 5 अगस्त को बंद रहेंगे। यह फैसला दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने और उनके सम्मान में लिया गया है।

गौरतलब है कि बीते काफी दिनों तक शिबू सोरेन सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहे। उनकी हालत काफी गंभीर थी और वह वेंटिलेटर पर थे। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। वे एक साल से डायलिसिस पर थे और पहले भी उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी।

3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हजारीबाग के नेमरा गांव में हुआ था। शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति में आदिवासी अस्मिता और अधिकारों के प्रबल पैरोकार थे। उन्होंने 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी समुदाय के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण संघर्ष किए।  

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