Edited By Nitika, Updated: 31 May, 2024 02:49 PM
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7 साल पहले साल 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी नीति लागू की थी। इसके बाद से लेकर अब तक यह प्रतिबंध लागू है। हालांकि उस समय जहां एक तरफ नीतीश कुमार को महिलाओं का समर्थन मिला था, वहीं दूसरी तरफ उन्हें विपक्ष के विरोध का...
नई दिल्ली/पटनाः 7 साल पहले साल 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी नीति लागू की थी। इसके बाद से लेकर अब तक यह प्रतिबंध लागू है। हालांकि उस समय जहां एक तरफ नीतीश कुमार को महिलाओं का समर्थन मिला था, वहीं दूसरी तरफ उन्हें विपक्ष के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। अब दुनिया की मशहूर पत्रिका लांसेट के रिसर्च में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
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‘द लांसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि शराबबंदी के बाद से प्रतिदिन और साप्ताहिक रूप से शराब पीने के मामलों में 24 लाख की कमी दर्ज की गई है जबकि प्रतिबंध से पहले शराब पीने के मामले बढ़े थे। साथ ही अंतरंग साथी द्वारा हिंसा के मामलों में भी 21 लाख की कमी दर्ज की गई है। इतना ही नहीं इस प्रतिबंध ने राज्य में 18 लाख पुरुषों को अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से बचाया है।
अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘प्रतिबंध से पहले बिहार के पुरुषों में शराब का सेवन 9.7 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया था, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह 7.2 प्रतिशत से बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गया।’ विशेषज्ञों के दल को बिहार में महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा में कमी के सबूत भी मिले हैं। उनका कहना है कि भावनात्मक हिंसा में 4.6 प्रतिशत अंकों की गिरावट और यौन हिंसा में 3.6 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
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बता दें कि रिसर्चर के दल में अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ भी शामिल थे। अनुसंधानकर्ताओं ने राष्ट्रीय और जिला स्तर पर स्वास्थ्य और घर-घर जाकर किए सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसके अतिरिक्त अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस शोध से देश के अन्य राज्यों में प्रतिबंध पर विचार कर रहे लोगों को भी फायदा होगा।