Edited By Ramanjot, Updated: 15 Jun, 2025 10:06 PM

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बिहार राज्य को 500 मेगावाट आवर की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली परियोजना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है।
पटना: केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बिहार राज्य को 500 मेगावाट आवर की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली परियोजना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। यह परियोजना राज्य योजना के अंतर्गत वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना के तहत संचालित होगी।
भारत सरकार ने प्रति मेगावाट-घंटा 27 लाख रुपए या कुल पूंजी लागत का 30% (जो भी कम हो) के हिसाब से कुल 135 करोड़ रुपए की वीजीएफ राशि इस परियोजना के लिए स्वीकृत की है।
इस परियोजना के अंतर्गत 125 मेगावाट की बैटरियां स्थापित की जाएंगी, जिनकी चार घंटे की भंडारण क्षमता होगी, जिससे कुल ऊर्जा भंडारण क्षमता 500 MWh सुनिश्चित होगी। परियोजना का क्रियान्वयन बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
इसके लिए 15 जगहों पर ग्रिड सबस्टेशन का चयन किया गया जो हैं, मुजफ्फरपुर; मोतिहारी; बेतिया; भागलपुर (नया); सीतामढ़ी; फतुहा; मुशहरी; उदाकिशुनगंज; जमुई (नया); अठवां (नालंदा); जहानाबाद; रफीगंज; शिवहर; सिवान (नया); किशनगंज और बांका (नया)। प्रत्येक ग्रिड पर 5 से 20 मेगावाट की बैटरियां स्थापित की जाएंगी।
अब तक 6 ग्रिड स्थानों के लिए सफल निविदाकर्ता का चयन किया जा चुका है। शेष स्थानों के लिए प्रक्रिया जारी है। देश की अग्रणी कंपनियों को इस परियोजना में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
यह परियोजना न केवल 24x7 गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होगी, बल्कि पीक डिमांड के दौरान मांग और आपूर्ति के संतुलन में भी सहायक सिद्ध होगी। इसके माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा के बेहतर उपयोग के साथ-साथ कम लागत पर बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।
ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह परियोजना राज्य की ऊर्जा प्रणाली को अधिक लचीला, विश्वसनीय और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। राज्य में तकनीकी नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
यह परियोजना राज्य एवं केंद्र सरकार की दूरदर्शी सोच और नवीन ऊर्जा प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो ऊर्जा सुरक्षा, सतत विकास और उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि मानती है।