बिहार में हरित ऊर्जा की नई क्रांति: कैबिनेट ने दी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 को मंजूरी

Edited By Ramanjot, Updated: 08 Jul, 2025 06:58 PM

bihar renewable energy policy 2025

राज्य सरकार ने आज ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "बिहार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा नीति–2025" को राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की।

पटना: राज्य सरकार ने आज ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "बिहार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा नीति–2025" को राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की। यह नीति राज्य को न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर करेगी, बल्कि बिहार को हरित विकास का राष्ट्रीय स्तर पर अग्रदूत भी बनाएगी। यह नीति से भारत सरकार द्वारा निर्धारित देशव्यापी नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य और 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने में भी सहायक होगी।

यह नई नीति पूर्व की "नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा नीति–2017" की अवधि पूर्ण होने के बाद तैयार की गई है और आगामी पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगी। इस नीति का उद्देश्य बिहार में नवीन एवं नवीकरणीय परियोजनाओं के निर्माण हेतु प्रोत्साहन, ऊर्जा की बढ़ती बढ़ती मांग को पूरा करना, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना, राज्य में निवेश को आकर्षित करना और रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना है।

यह नीति अगले पांच वर्षों में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय व बिहार विद्युत विनियामक आयोग तथा सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथोरिटी द्वारा निर्धारित 43.33% रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन के लक्ष्य की पूर्ति तथा सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथोरिटी द्वारा तैयार 'एडेक्वेसी प्लान फॉर बिहार' के अनुरूप राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। नीति में स्टाम्प्ड ड्यूटी, भूमि रूपांतरण शुल्क, संचरण व व्हीलिंग चार्ज, विद्युत शुल्क, एसटीयू शुल्क, ऊर्जा बैंकिंग, इमारत के ऊपर मॉड्यूल संरचना की ऊंचाई में छूट, हरित टैरिफ, फीड इन टैरिफ, मानित उद्योग दर्जा, ग्रिड से कनेक्टिविटी एवं प्रेषण हेतु संचरण/वितरण के आधारभूत संरचना के निर्माण में छूट, एकल विंडो सुविधा, कार्बन क्रेडिट/कार्बन मूल्य निर्धारण, एसजीएसटी में छूट जैसे निवेशक-अनुकूल प्रावधान किए गए हैं, जिससे निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में परियोजना स्थापित करना अधिक सरल और लाभप्रद होगा।

नीति के तहत ओपन एक्सेस, ऊर्जा बैंकिंग, ग्रीन टैरिफ और सिंगल विंडो सुविधा जैसे अनेक प्रोत्साहनों से निजी निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा। 

इस नीति के तहत राज्य में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 23,968 मेगावाट तथा नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण की 6.1 गीगावाट घंटे क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन, जियो थर्मल, पंप स्टोरेज, और ग्रिड लेवल बैटरी स्टोरेज जैसी उन्नत एवं भविष्य केंद्रित तकनीकों को भी नीति में सम्मिलित किया गया है।

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने इस नीति को स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह नीति बिहार को हरित, सतत एवं आत्मनिर्भर ऊर्जा व्यवस्था की ओर ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी। यह नीति मुख्यमंत्री महोदय विकास की दूरदर्शी नेतृत्व व सोच को दर्शाती है जो पर्यावरण- अनुकूल एवम् भावी पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि यह नीति बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा के समग्र विकास को गति देगी। हम बिहार को हरित ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए कटिबद्ध हैं।

ऊर्जा विभाग के दिशानिर्देश में बिहार रिन्यूएबल डेवलपमेंट एजेंसी (ब्रेडा) द्वारा इस नीति को तैयार करने में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे अग्रणी राज्यों की ऊर्जा नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है, जिससे यह नीति व्यवहारिकता और नवाचार का समुचित संतुलन प्रस्तुत करती है। इस नीति के सूत्रण में राज्य के विभिन्न विभागों एवम् हितधारकों से भी गहन विचार विमर्श करते हुए उनसे मंतव्य लिया गया है। नीति के तहत सभी पंजीकृत कंपनियां, इकाइयां, कार्यकारी एजेंसियां व डेवलपर्स विभिन्न मॉडल जैसे रिन्यूएबल एनर्जी जोन, कैम्पस या हाईब्रिड योजनाओं के अंतर्गत परियोजनाएं स्थापित कर सकेंगी।

ऊर्जा सचिव ने मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस नीति पर स्वीकृति के साथ ही बिहार ने हरित ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा लिया है, जो राज्य को स्वच्छ, सस्ती और सतत ऊर्जा व्यवस्था की ओर ले जाएगा।

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