Edited By Ramanjot, Updated: 10 Apr, 2025 10:13 PM

:फार्मासिस्ट भर्ती को लेकर लंबे समय से जारी विवाद पर पटना हाई कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ कहा कि बिहार सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता "डिप्लोमा इन फार्मेसी (D. Pharma)" ही सरकारी फार्मासिस्ट पद के लिए वैध होगी।
पटना :फार्मासिस्ट भर्ती को लेकर लंबे समय से जारी विवाद पर पटना हाई कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ कहा कि बिहार सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता "डिप्लोमा इन फार्मेसी (D. Pharma)" ही सरकारी फार्मासिस्ट पद के लिए वैध होगी।
मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने बी. फार्मा और एम. फार्मा धारकों की याचिकाओं को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि डिग्री और डिप्लोमा कोर्स का उद्देश्य अलग-अलग है और इस आधार पर योग्यता को चुनौती नहीं दी जा सकती।
क्या कहा याचिकाकर्ताओं ने?
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह दलील दी गई थी कि बी. फार्मा और एम. फार्मा, डी. फार्मा से उच्च योग्यता है और उन्हें बाहर करना अन्यायपूर्ण है। लेकिन अदालत ने माना कि डी. फार्मा कोर्स खासतौर पर अस्पतालों और दवा वितरण जैसे क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि बी. फार्मा और एम. फार्मा का फोकस औद्योगिक और रिसर्च से जुड़ा होता है।
कोर्ट ने साफ किया कि:
जब तक नियमों में बदलाव नहीं होता, बी. फार्मा और एम. फार्मा धारकों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए डी. फार्मा की योग्यता भी अनिवार्य होगी। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा 2015 के रेगुलेशन में दोनों डिग्री को मान्यता दी गई है, लेकिन राज्य सरकार को अपने पदों के अनुसार उपयुक्त योग्यता तय करने का अधिकार है।
इस फैसले के बाद जहां D. Pharma करने वाले युवाओं को बड़ी राहत मिली है, वहीं बी. फार्मा और एम. फार्मा धारकों को बड़ा झटका लगा है।