वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में पत्थर लगाने का कार्य पूर्ण, लगाए गए 38500 पत्थर

Edited By Mamta Yadav, Updated: 29 Dec, 2024 12:52 AM

buddha samyak darshan museum cum memorial stupa in vaishali is complete

भगवान बुद्ध की पावन धरती वैशाली में पवित्र पुष्करणी तालाब एवं पौराणिक मिट्टी स्तूप के निकट ₹550.48 करोड़ की लागत से 72.94 एकड़ के भूखण्ड पर भगवान बुद्ध के स्मृति अवशेषों को सुरक्षित एवं आमजनों के दर्शन हेतु रखने के लिए बुद्ध सम्यक दर्शन...

Patna News: भगवान बुद्ध की पावन धरती वैशाली में पवित्र पुष्करणी तालाब एवं पौराणिक मिट्टी स्तूप के निकट ₹550.48 करोड़ की लागत से 72.94 एकड़ के भूखण्ड पर भगवान बुद्ध के स्मृति अवशेषों को सुरक्षित एवं आमजनों के दर्शन हेतु रखने के लिए बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य जल्द पूर्ण हो जाएगा। फिनिशिंग का कार्य चल रहा है। कार्यरत एजेंसी को फिनिशिंग तथा साफ-सफाई कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। जनवरी, 2025 तक इसे पूर्ण करने के लिए निर्देशित किया गया है।

भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने बताया कि मुख्यमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप को आकर्षक वास्तुशिल्प एवं बेमिसाल नक्काशी का रूप दिया गया है। स्तूप में 38500 पत्थर लगाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। स्तूप को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगवाए गए। उन्होंने बताया कि क्रेन से 12 टन तक के पत्थरों को ऊंचाई पर लगाना, इन पत्थरों के एक-एक कर फिट करना भवन निर्माण विभाग के अभियंताओं के लिए नया अनुभव रहा है। सिविल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से इस संरचना का निर्माण चुनौतीपूर्ण रहा है। यह संरचना पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है और पत्थरों को लगाने के लिए किसी प्रकार चिपकाने वाला पदार्थ या अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया गया है। भगवान बुद्ध की प्रतिमा एवं स्मृति अवशेषों को रखने के लिए आवश्यक संरचना का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। आने वाले समय में स्तूप का भव्य अर्किटेक्चर विश्व पटल पर अपनी अनोखी पहचान बनाएगा। यहां आने वाले पर्यटक भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन का अद्वितीय चित्रण एवं स्मृति चिन्हों का अवलोकन कर सकेंगे।

बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर में स्तूप, संग्रहालय ब्लॉक, आगंतुक केंद्र भवन, पुस्तकालय भवन एवं ध्यान केंद्र भवन, अतिथि गृह तथा एम्पी थियेटर एवं सर्विस एरिया का निर्माण किया गया है।  इसके अलावा गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था, कैफेटेरिया, टिकट काउंटर समेत अन्य जरूरी चीजों को भी ध्यान रखा गया है। परिसर के लगभग 4300 वर्गमीटर के भूखण्ड पर स्तूप का निर्माण किया गया।  स्तूप की कुल ऊँचाई 33 मीटर, आंतरिक व्यास 38 मीटर तथा बाहरी व्यास 50 मीटर है। स्तूप के भूतल पर 2000 श्रद्धालुओं के बैठकर ध्यान करने हेतु एक विशाल हॉल का निर्माण किया गया है। स्तूप में 04 द्वार, 04 रैम्प एवं 04 तोरण द्वार हैं। भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई स्मृतियों को रखने हेतु संग्रहालय में भगवान बुद्ध से संबंधित प्रदर्श एवं कलाकृतियों का अधिष्ठापन किया गया।

स्तूप परिसर में पर्यावरण के दृष्टि से भी काफी काम किया गया है। परिसर को सुंदर दिखाने के लिए वृहद पैमाने पर पौधारोपण कर हरियाली विकसित की गई है। कुल हरियाली क्षेत्र लगभग 271689 वर्गमीटर है। इसके साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं  वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए गए हैं। परिसर की सुंदरता बढ़ाने के लिए तालाब के किनारे अन्य जल संरचना में कुछ आवश्यक निर्माण किया जा रहा है। सचिव ने बताया कि नए स्तूप परिसर को मड स्तूप से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जरूरी काम किया जा रहा है। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके।

वैशाली में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश मिला है, जिसे बुद्ध स्मृति स्तूप में स्थापित किया जाएगा। महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े प्रसंगों को संग्रहालय में दर्शाया गया है।  आने वाले समय में यह संग्रहालय बिहार की सांस्कृतिक विरासत एवं भव्यता का दर्शन कराएगा। इस निर्माण कार्य के पूर्ण होने के पश्चात् यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक भी आएंगे। बौद्ध धर्मालंबियो के लिये यह एक प्रमुख आस्था तथा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

वैशाली में बुद्ध सम्यक् दर्शन संग्रहालय -सह - स्मृति स्तूप के बनने के उपरांत यहां देश-विदेश से पर्यटक पहुंचेगे और यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों, इतिहास प्रेमियों एवं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह स्थल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा बल्कि बिहार में पर्यटन विकास के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा।

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