Edited By Ramanjot, Updated: 05 Jul, 2025 05:51 PM

रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आज एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि दर्ज की गई, जहाँ हिंदी शिशु काव्य पर आधारित पहला शोध प्रस्तुत किया गया।
पटना: रांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आज एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि दर्ज की गई, जहाँ हिंदी शिशु काव्य पर आधारित पहला शोध प्रस्तुत किया गया। शोध का विषय था, “हिंदी शिशु काव्य का प्रवृत्तिमूलक अनुशीलन: परशुराम शुक्ल के विशेष संदर्भ में”। यह शोध अमन कुमार ने किया है। वे दूरदर्शन झारखंड के चैनल ऑपरेशंस स्पेशलिस्ट हैं। उन्होंने रांची विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. जीतेन्द्र कुमार सिंह के निर्देशन में शोध कार्य पूरा किया है।
इस शोध कार्य की बाह्य समीक्षक की भूमिका में प्रो. नीरज कुमार, प्राध्यापक , वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय थे। शुक्रवार को फ़ाइनल वायवा लिया गया और शोध की सराहना की गई। इस मौक़े पर मानविकी संकाय की प्रमुख डॉ अर्चना दूबे, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता यादव, हिन्दी विभाग की प्राध्यापक डॉ चंद्रिका ठाकुर, हीरानंदन प्रसाद,डॉ किरण,डॉ कुमुद कला मेहता,डॉ नियति कल्प,डॉ सुनीता कुमारी, सुनीता गुप्ता समेत बड़ी संख्या में हिंदी विभाग के शोधार्थी मौजूद थे।
शोध में हिंदी शिशु काव्य की प्रवृत्तियों, विकासक्रम और विशेष रूप से वरिष्ठ कवि परशुराम शुक्ल के काव्य-संसार का गहन विश्लेषण किया गया है। यह शोध न केवल शिशु साहित्य के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि बालमन के संवेदनात्मक विकास में साहित्य की कितनी अहम भूमिका होती है।
यह शोध कार्य निस्संदेह हिंदी साहित्य के शिशु काव्य खंड को एक नई दिशा देने वाला सिद्ध होगा और आने वाले शोधार्थियों के लिए एक मील का पत्थर बनेगा।